Curtain raised in the new book on the mysteries of the true events related to the life of a person of Indian origin.

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    लंदन. काल्पनिक कथाओं के मशहूर जासूस शेरलॉक होम्स के ब्रिटिश जनक आर्थर कॉनन डॉयल (British connoisseur Arthur Conan Doyle of Sherlock Holmes) के जरिए अपराध की एक सत्य घटना के रहस्यों पर से पर्दा उठाया गया है। इसकी कहानी भारतीय मूल के एक ब्रिटिश व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हे 20वीं सदी की शुरूआत में इंग्लैंड के एक गांव में रहस्यमयी तरीके से हुए सिलसिलेवार अपराधों का आरोपी बना दिया गया। भारतीय मूल के उस बैरिस्टर जॉर्ज एडाल्जी की कहानी में सभी पहलुओं पर विस्तार से छानबीन की गई है और लंदन की इतिहासकार-लेखक शरबनी बसु (Sharbani Basu) ने उसे एक नयी पुस्तक में बयां किया है।

    उन्होंने रहस्य का खुलासा करने के लिए पुरातात्विक अभिलेखों और उस समय के पत्रों का सहारा लिया है। नतीजतन ‘द मिस्ट्री ऑफ द पारसी लॉयर : आर्थर कॉनन डॉयल, जॉर्ज एडाल्जी ऐंड द केस ऑफ द फॉरनर इन द इंग्लिश विलेज’ पुस्तक का ब्रिटेन में अगले सप्ताह और भारत में 10 मार्च को विमोचन होने जा रहा है। बसु ने इससे पहले ‘स्पाई प्रिंसेस: द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ (Spy Princess: The Life of Noor Inayat Khan) जैसी पुस्तकें भी लिखी हैं।

    उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारतीय पाठकों को यह दिलचस्प लगेगा कि 1907 में आर्थर ने एक युवा भारतीय वकील के पत्रों का जवाब दिया था, जिसमें उन्होंने उनसे (आर्थर से) एक मामले में खुद को निर्दोष साबित करने में मदद करने की अपील की थी।” बसु ने कहा, ‘‘यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru), जो उस वक्त 18 वर्ष के थे और लंदन के हैरो स्कूल के छात्र थे, भी इस मामले के प्रति आकर्षित हुए और उन्होंने टिप्पणी की थी कि जॉर्ज को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वह भारतीय हैं।” जॉर्ज के पिता भारतीय एवं पारसी थे। उनकी मां इंग्लैंड की रहने वाली थी।(एजेंसी)