विकास के मामले में नेपाल, भूटान से भी पिछड़ा भारत

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    यह सचमुच चिंतनीय है कि दक्षिण एशिया की महाशक्ति कहलाने वाला हमारा देश भरण-पोषण का संकेत देने वाली सस्टेनेबल डेवलपमेंट रैंकिंग (एसडीजी) में नेपाल और भूटान जैसे छोटे पड़ोसी देशों से भी पीछे रह गया. इतना ही नहीं, भारत का स्थान लंका और बंगलादेश से भी नीचे है. गत वर्ष यह रैंकिंग विश्व में 115वीं थी जो अब 117वीं हो गई है. भारत का कुल एसडीजी स्कोर 61.9 है. यह रैंकिंग प्रमुख रूप से खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य प्राप्त कर भुखमरी का खात्मा करने, लैंगिक समानता हासिल करने, सतत समावेशी औद्योगीकरण को बढ़ावा देने जैसी प्रमुख चुनौतियों की वजह से गिरी है.

    इसकी विभिन्न वजहें हो सकती हैं. सबसे बड़ी बात यह कि कोरोना की चुनौती से उद्योगधंधे व आर्थिक गतिविधियों पर अत्यंत विपरीत असर पड़ा. बेरोजगारी रिकार्ड स्तर पर जा पहुंची. महंगाई भी बल्लियों उछली, जिससे लोगों की बचत प्रभावित हुई. मांग घटने की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ. जब परिदृश्य इतना हताशाजनक हो तो एसडीजी रैंकिंग को कैसे कायम रखा जा सकता है? पिछले सवा साल से तो कोरोना महामारी ने हालत पतली कर रखी है. इसके अलावा यह भी ज्वलंत तथ्य है कि भारत के सभी राज्य एक समान उन्नत नहीं हैं.

    कुछ औद्योगिक दृष्टि से आगे हैं तो बाकी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था पर निर्भर व पिछड़े हुए हैं. हर राज्य के लोगों की औसत आय भी एक समान नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड और बिहार एसडीजी को पूरा करने के मामले में काफी पीछे हैं. इसके विपरीत केरल, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य तथा केंद्र शासित चंडीगढ़ सबसे अच्छे स्कोर वाले राज्य हैं. विकास के मामले में सभी मानकों पर उनका काम अच्छा है. सतत विकास के उद्देश्य से यूएन के सभी सदस्य देशों ने 2015 में यह एजेंडा अपनाया था.