महिला सुरक्षा पर सवाल, महाराष्ट्र में भी हाथरस जैसी दरिंदगी

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उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras case) में हुई हैवानियत की समूचे देश में तीव्र प्रतिक्रिया हुई थी. वहां सामूहिक दुष्कर्म के बाद जीभ काट देने और गर्दन की हड्डी तोड़ देने जैसी राक्षसी करतूत की गई. पीड़िता ने मरने से पहले अपने बयान में इस भीषण अत्याचार के बारे में बताया था. किसी युवती या महिला के साथ जोर-जबरदस्ती करनेवाले नरपशुओं की जितनी निंदा की जाए, कम है. यदि कोई युवती किसी सिरफिरे का एकतरफा प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दे तो वह इसे अपना अपमान मानकर बदला लेने पर उतारू हो जाता है. यह कैसी विचित्र और मूर्खतापूर्ण मानसिकता है? महिला भी एक व्यक्ति है. उसकी अपनी सोच और पसंद है, वह किसी की गुलाम नहीं है.

वह कोई वस्तु भी नहीं है जिस पर कोई अपना हक जताए. सभ्य समाज में महिलाओं को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए किंतु ऐसा नहीं हो पाता. महिलाओं से दरिंदगी की खबरों का सिलसिला रुकता नजर नहीं आता. महाराष्ट्र के बीड़ (Beed Acid Attack) जिले में एक महिला पर उसके ब्वायफ्रेंड ने एसिड फेंक दिया और फिर उसे जिंदा जलाने की भी कोशिश की. अस्पताल ले जाने पर बयान देने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई. वह महिला नांदेड़ जिले में शेलगांव की रहने वाली थी और आरोपी के साथ अपने घर के लिए पुणे से यात्रा कर रही थी, तभी रास्ते में यह घटना हुई. इसी तरह की वारदात हरिद्वार में भी हुई. वहां एकतरफा प्रेम में पागल युवक ने युवती के इनकार करने पर उस पर तेजाब फेंक दिया. यह कैसी नीचतापूर्ण हरकते हैं! ऐसे हैवानों को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए. जिन परिवारों में पुरुषों को महिलाओं का सम्मान करना नहीं सिखाया जाता और जिनकी परवरिश में खोट है, ऐसे ही दरिंदे इस प्रकार की नृशंसतापूर्ण करतूत करते हैं. ये प्रेमी कहलाने लायक हरगिज नहीं हैं. सच्चा प्रेम त्याग और बलिदान करने की प्रेरणा देता है.

जब कोई रक्षक की बजाय भक्षक बन जाए तो वह कैसा प्रेमी? भारत में महिलाएं वैदिक काल से ही स्वतंत्र और सम्मानित रही हैं. मनु ने भी कहा था- यत्र नार्यस्तु पूज्यते, रमन्ते तत्र देवता! जहां महिलाएं सुखी और प्रसन्न हैं, वहां देवता निवास करते हैं. स्त्री व पुरुष संसार रूपी गाड़ी के 2 पहिए हैं. महिलाएं सम्मान और समानता की पूरी तरह हकदार हैं. पुरुष के पास मस्तिष्क है तो महिलाओं के पास मस्तिष्क के साथ हृदय भी है. जो महिलाओं को क्लेष पहुचाते हैं, वे जीवन में कभी सुखी नहीं हो पाते. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना सभ्य समाज की पहचान है. परिवार में ऐसे संस्कार होने चाहिए कि सहजता से महिलाओं के प्रति सम्मान और उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहन मिल सके.