Tejashwi Yadav's clarification on the allegation of Rs 5 crore bribe for election ticket
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लगभग सारे एग्जिट पोल (Bihar chunav 2020 exit polls)  इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि एनडीए पर महागठबंधन भारी पड़ रहा है और नीतीश कुमार (Nitish kumar) के हाथ से बिहार की सत्ता निकलते जा रही है. कोरोना काल में हुए इस ऐतिहासिक विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी तेजस्वी यादव  (Tejashwi yadav) की जीत होती दिखाई दे रही है जिसका अर्थ यही है कि बिहार के युवाओं ने उनके नेतृत्व पर अपना विश्वास जताया है और सत्ता परिवर्तन के लिए वोट दिया है. अलग-अलग 5 एग्जिट पोल यदि महागठबंधन की जीत की ओर संकेत कर रहे हैं तो इससे जनमानस का रुख स्पष्ट हो जाता है.

यदि 10 नवंबर को आनेवाले वास्तविक नतीजे भी ऐसे ही रहते हैं तो न केवल नीतीश कुमार बल्कि बीजेपी को भी करारा झटका लगेगा. प्रधानमंत्री मोदी (Narendra modi) ने अपनी रैलियों में लालू के जंगल राज की तीखी आलोचना की थी. ‘सुशासन बाबू’ कहलाने वाले नीतीश ने विकास कार्यों की दुहाई दी परंतु युवाओं को सड़क, पुल की बजाय पहले रोजगार चाहिए. तेजस्वी यादव ने राज्य में 10,00,000 नौकरियां देने का वादा किया है. यदि वे मुख्यमंत्री बने तो इस वादे को लेकर उन पर काफी दबाव रहेगा. इतनी सरकारी नौकरियां दे पाना कहां संभव है? जिस राज्य में उद्योगों का अभाव है, वहां इतनी नौकरियां कैसे दी जा सकेंगी. उपाय एक ही है कि सूक्ष्म, लघु, मध्यम और बड़े उद्योगों को तेजी से बढ़ावा देना होगा. उद्योजकों को तमाम सुविधाएं और सुरक्षा देते हुए निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा.

इसके अलावा केंद्र की मदद की भी जरूरत रहेगी? केंद्र महागठबंधन सरकार के प्रति उदारता क्यों दिखाएगा? वैसे एग्जिट पोल ने एनडीए को तो सत्ता से बाहर होता दिखाया है परंतु जहां तक बीजेपी का प्रश्न है, वह बिहार में अपनी बढ़त बनाती नजर आई है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केवल 53 सीटों पर सफलता मिली थी लेकिन इस बार एग्जिट पोल उसे 70 से 75 सीटें देते दिख रहे हैं. यदि बीजेपी की सीटें सचमुच बढ़ती हैं तो इसमें पार्टी के चुनाव प्रभारी बनाए गए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की रणनीतिक कुशलता मानी जाएगी. यदि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते हैं तो जरूरी नहीं कि राज्य फिर लालू-युग की स्थितियों में पहुंच जाए. लालू और राबड़ी पर उनके रिश्तेदारों का दबाव था लेकिन तेजस्वी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है. उनका दृष्टिकोण सुलझा हुआ है. उन्होंने चुनाव प्रचार में सर्वाधिक 251 रैलियां की और युवाओं के लिए उनकी प्रतिबद्धता है.