Bowed down in front of Shiv Sena Governor for the first time

शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे हमेशा दृढ़ता से कमांडिंग टोन में अपनी बात कहते थे जो दिल्ली को सुननी पड़ती थी। महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का बहुत वजन था।

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जो राजनीतिक विश्लेषक ही नहीं, आम लोग भी इतने वर्षों से शिवसेना की कार्यशैली के साक्षी रहे हैं, अब महसूस करने को बाध्य हैं कि तब की शिवसेना के तेवरों में अब काफी फर्क आ गया है। किसी तरह की नरमी दिखाना, झुक जाना या समझौता कर लेना शिवसेना की मूल प्रवृत्ति नहीं है। शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे हमेशा दृढ़ता से कमांडिंग टोन में अपनी बात कहते थे जो दिल्ली को सुननी पड़ती थी। महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का बहुत वजन था। चाहे जिस पार्टी की सरकार हो, कोई भी शिवसेना को नाराज करने की हिम्मत नहीं करता था। बाल ठाकरे जो कहते थे, वह उनका पत्थर की लकीर के समान आदेश हुआ करता था। यदि उन्होंने भारत-पाक के बीच क्रिकेट नहीं होने देने, पिच को खोद डालने के बारे में कहा तो इसे पूरी गंभीरता से लिया जाता था। यदि उन्होंने पाकिस्तानी कलाकारों या गजल गायकों के भारत में परफार्मेंस पर कड़े शब्दों में एतराज जताया तो उसे मानने के लिए सरकार बाध्य हो जाती थी। मुंबई से अंडरवर्ल्ड के आतंक का सफाया करवाने में बाल ठाकरे की बहुत बड़ी भूमिका थी। समूचा बॉलीवुड बाल ठाकरे के चरणों में झुकता था। वह भी एक समय था लेकिन आज परिदृश्य बिल्कुल ही बदला हुआ प्रतीत होता है। पहली बार शिवसेना राज्यपाल के सामने नतमस्तक हुई है। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने राज्यपाल के कोटे से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद सदस्य नहीं बनाए जाने पर तीखी टिप्पणी की थी। तब उन्होंने कहा था- राजभवन राजनीति का अड्डा नहीं बनना चाहिए। बाद में सीएम के मोदी को फोन पर निवेदन करने के बाद केंद्र ने मुद्दत के भीतर विधानपरिषद चुनाव करवा लिए थे। इससे उद्धव ठाकरे को राहत मिली थी। वे निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। वही संजय राऊत सारी तल्खी छोड़कर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से राजभवन में मिले और उन्होंने कहा कि राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री का संबंध पिता-पुत्र की तरह है। दोनों में किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं है। राज्यपाल हमारे मार्गदर्शक हैं। उनके व हमारे बीच दूरी का सवाल ही नहीं उठता। बीजेपी ने इसे लेकर संजय राऊत पर निशाना साधा। पार्टी प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी ने राऊत को गिरगिट के समान रंग बदलने वाला बताते हुए कहा कि संबंध बदलना तो कोई इनसे सीखे! सरकार बनाने के लिए सोनिया गांधी को माता बताया, साहेब (शरद पवार) काका हो गए और अब राज्यपाल को पिता बनाया है। जब वे पहले उनकी नजर में खलनायक थे तो एक ही क्षण में पिता कैसे बन गए?