Australian Ambassador Graham Fletcher called China a 'non-trustworthy' business partner

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    चीन (China) गिरगिट के समान रंग बदल रहा है. उसकी विस्तारवादी नीतियां और कुटिल चालबाजी किसी से छिपी नहीं हैं. भारत-चीन सीमा (LAC)पर लगभग 11 महीने जबरदस्त तनाव बना रहा. गलवान घाटी (Galwan Valley) में उसकी घुसपैठ का हमारे जवानों ने कड़ा प्रतिरोध किया था. चीन की इस हरकत की वजह से हमारे 20 जवान शहीद हुए थे तथा चीन के 45 से अधिक सैनिक मारे गए थे. भारत का दृढ़ रवैया देखते हुए अब पैंगोंग लेक व अन्य ठिकानों से चीन अपनी फौज वापस बुला रहा है. दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग के उत्तरी व दक्षिणी किनारे से पीछे हटी हैं. चीन ने वहां से अपने सैनिकों को हटाकर 100 किलोमीटर दूर रूटोग काउंटी बेस पर भेज दिया है.

    वहां भी चीन ने अपनी सेना को मजबूत करने के इरादे से एक हेलीपोर्ट का निर्माण किया है. भारत से लगातार शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाते हुए पाकिस्तान (Pakistan)की मदद करने वाले चीन ने अब अचानक पलटी मारते हुए भारत में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन का समर्थन किया है. ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन व द. अफ्रीका शामिल हैं. चीन ने कहा कि वह भारत तथा अन्य देशों के साथ मिलकर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करना चाहता है और यदि आगामी कुछ महीनों में कोरोना महामारी से उपजी स्थितियां नियंत्रण में आ गईं तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत आकर प्रधानमंत्री मोदी से मिल सकते हैं. चीन ब्रिक्स संगठन को काफी महत्व देता है और इसके जरिए रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के पक्ष में है. चीन जैसा मक्कार देश ऐसी मीठी-मीठी बातें किसलिए कर रहा है? चीन की कंपनियों ने भी भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रस्ताव दिया लेकिन भारत ने इसे मंजूरी नहीं दी.

    केवल हांगकांग की 3 कंपनियों के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई है. इन कंपनियों में से 2 जापान की तथा एक एनआरआई की है. चीन के ग्रेटवाल और एसएआईसी कंपनियों के प्रस्तावों को ठुकरा दिया गया. संभवत: जासूसी रोकने तथा सुरक्षा के पहलुओं का ध्यान रखते हुए ऐसा निर्णय लिया गया. पाइप लाइन में अभी जो प्रस्ताव हैं, उन्हें भी कड़े सुरक्षा पैमानों से गुजरना होगा. देखा जाएगा कि इनमें चीनी सरकार का दखल है या नहीं. यदि दखल है तो कितना? यह भी देखा जाएगा कि सुरक्षा के लिहाज से क्या पेचीदागियां हैं. वैसे तो चीन में भी भारत की कुछ कंपनियां हैं परंतु उन पर वहां की सरकार की कड़ी शर्तें लागू हैं.