sharad pawar
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लोगों ने किसी मुख्यमंत्री को यह दावा करते नहीं सुना होगा कि सरकार मैं ही चला रहा हूं. महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को ऐसा एलान करने की जरूरत आखिर क्यों महसूस हुई? यह सर्वविदित है कि राज्य में शिवसेना(Shiv sena) के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार है जिसमें एनसीपी और कांग्रेस (Congress) का समावेश है. इतने पर भी आम धारणा है कि दिग्गज नेता व एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar)के मार्गदर्शन और रणनीति के तहत ही यह सरकार चल रही है तथा महाविकास आघाड़ी के वही सूत्रधार हैं.

पवार का व्यापक अनुभव और राजनीतिक दांवपेंच में उनकी महारत इस सरकार की बड़ी ताकत है. लेकिन लगता है उद्धव ठाकरे ने यह कहकर कि सरकार और कार दोनों मैं ही चलाता हूं, शरद पवार को शह दी है और अपने पद के पॉवर का एहसास कराया है. वे बार-बार जताना चाहते हैं कि गाड़ी का स्टीयरिंग उनके हाथों में है. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि बीच में गड्ढे और अवरोध आते रहते हैं पर उनका मुझ पर कोई असर नहीं होता. उनका स्पष्ट आशय यही था कि सरकार का कर्ताधर्ता और संचालक मैं ही हूं. इसका मतलब है कि उन्हें अपने फैसले लेने में किसी के दिशानिर्देश की जरूरत नहीं है. वे किसी से पूछ-पूछ कर या अनुमति लेकर काम नहीं करते, बल्कि अपने निर्णयों में स्वतंत्र हैं.

उद्धव ठाकरे के इस बयान के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्षी पार्टी बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने फिकरा कसते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे खूब अच्छी तरह से कार चलाते हैं, लेकिन जब वे कार चलाते हैं तो उनके लिए पूरी ट्रैफिक रुक जाती है. फडणवीस ने ग्राम पंचायत चुनावों के नतीजों के आधार पर बीजेपी के महाराष्ट्र की नंबर वन पार्टी होने का दावा किया और राज्य सरकार के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. इसके विपरीत शिवसेना ने कहा कि राज्य के पूरे चुनाव परिणामों के आंकड़े गवाह हैं कि जनता ने बीजेपी को नकार दिया है. दिल्ली के किसान आंदोलन में भाग लेने वालों में महाराष्ट्र के अन्नदाता भी हैं. बीजेपी को हराकर उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों को समर्थन दिया है. उद्धव ठाकरे व फडणवीस की कितनी भी नोंकझोंक हो, जनता तो यही मानती है कि आघाड़ी के शिल्पकार शरद पवार ही हैं और उन्हीं की वजह से राज्य में बीजेपी की दाल नहीं गल पा रही है.