प्रवासी मजदूर तो घोर अनिश्चितता के बीच भारी कष्ट, अभाव व असुरक्षा झेल ही रहे हैं लेकिन उन्हें लेकर महाराष्ट्र व यूपी के बीच घमासान छिड़ गया है। दोनों ही राज्यों के नेताओं ने वाकप्रहार में कसर नहीं छोड़ी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब किसी राज्य को यूपी का मैनपावर चाहिए तो उसे हमारी सरकार से अनुमति लेनी होगी।
प्रवासी मजदूर तो घोर अनिश्चितता के बीच भारी कष्ट, अभाव व असुरक्षा झेल ही रहे हैं लेकिन उन्हें लेकर महाराष्ट्र व यूपी के बीच घमासान छिड़ गया है। दोनों ही राज्यों के नेताओं ने वाकप्रहार में कसर नहीं छोड़ी है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अब किसी राज्य को यूपी का मैनपावर चाहिए तो उसे हमारी सरकार से अनुमति लेनी होगी। कोई भी राज्य सरकार हमारे श्रमिकों को बगैर अनुमति के नहीं ले जा सकती। जिस तरह यूपी के कामगारों की दुर्गति हुई है और जिस तरह का दुर्व्यवहार उनके साथ हुआ है, उसे देखते हुए हम उनका रजिस्ट्रेशन कर बीमा कवर देंगे। इन श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के अलावा रोजगारपरक प्रशिक्षण देंगे ताकि उन्हें इधर-उधर भटकना न पड़े। अब तक 22 लाख श्रमिक यूपी लौट चुके हैं। अब इन्हें ले जाने से पहले यूपी सरकार से इजाजत लेना जरूरी होगा। योगी आदित्यनाथ को अपने तरीके से जवाब देते हुए मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि वे इस बात का ध्यान रखें कि प्रवासियों को अब महाराष्ट्र आने से पहले अनुमति लेनी होगी। उन्होंने उद्धव सरकार से कहा कि पुलिस थाने में प्रवासी मजदूरों का तस्वीर सहित रिकार्ड रखना चाहिए। परप्रांतीय श्रमिकों के खिलाफ हिंसक आंदोलन चला चुके राज ठाकरे को योगी के बयान की वजह से अपना पसंदीदा मुद्दा मिल गया है। जब सब कुछ सामान्य हो जाने पर यूपी-बिहार के मजदूर लौटेंगे तो उन्हें योगी और राज ठाकरे के विवाद का नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसी संदर्भ में शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि राज्य में प्रवासी मजदूरों के साथ अनुचित व्यवहार का योगी आदित्यनाथ का दावा सही नहीं है। हम उन्हें प्रवासी मजदूरों की वीडियो क्लिप भेजेंगे जो महाराष्ट्र छोड़ते समय उद्धव ठाकरे की तारीफ कर रहे थे। योगी को इस तरह के दावे नहीं करने चाहिए बल्कि अधिकांश समय प्रवासी मजदूरों को भोजन-पानी उपलब्ध कराने में लगाना चाहिए। राऊत ने कहा कि यदि यूपी के सीएम चाहते हैं कि अन्य राज्यों को उत्तरप्रदेश के लोगों को रोजगार देने के लिए उनकी अनुमति लेनी चाहिए तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रवासी मजदूर खुद काम की तलाश में महाराष्ट्र आए थे।
महाराष्ट्र सरकार को समझना चाहिए कि इतने वर्षों में प्रवासी मजदूर उसके लिए कितने उपयोगी रहे। उनकी मेहनत से राज्य की सड़कें, इमारतें बनीं तथा उद्योग व कारखाने चले। दूसरी ओर योगी को भी आत्मचिंतन करना चाहिए कि यूपी में उद्योग और विकासकार्य नहीं होने से श्रमिकों को बाहरी राज्यों में जाकर काम करने और वहां से अपने घरों को पैसा भेजने की मजबूरी थी। योगी को भी इतनी अकड़ न दिखाकर अपने राज्य में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए। क्या वे यूपी में टेक्सटाइल्स व शक्कर उद्योगों को पुनर्जीवित कर सकते हैं?