narendra modi

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कोरोना की वैक्सीन आ जाना बहुत बड़ी बात है. भारत (India) में निर्मित कोविशील्ड तथा पूर्ण स्वदेशी कोवैक्सीन टीकों को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Controller general of India) से अंतिम मंजूरी मिल गई है. ये दोनों ही टीके सामान्य फ्रिज में रखना संभव होने से समूचे देश में इनका वितरण सहजता से हो सकता है. भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी कोवैक्सीन बनाकर समूचे विश्व में अपनी कुशलता की धाक जमा दी है. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है.

कोई नई चीज आती है तो लोगों में तरह-तरह की शंका-कुशंका होती है जिसे दूर कर जनता को आश्वस्त करना सरकार का काम है. लोगों के अपने तर्क भी हैं. कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) और शशि थरूर (Shashi Tharoor)  ने तीसरे चरण का ट्रायल लिए बगैर टीके को मंजूरी देने पर सवाल खड़े किए हैं और स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन से सफाई मांगी है. जयराम रमेश ने कहा कि जिस तरह से 2 वैक्सीन को स्वीकृति दी गई है, वह अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकाल के खिलाफ है. संपूर्ण प्रक्रिया अपनाए बिना टीके को मंजूरी देना गलत है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनौती देते हुए कहा कि बीजेपी को अपनी विश्वसनीयता प्रमाणित करने की जरूरत है. ऐसे में सबसे पहले यह टीका प्रधानमंत्री मोदी को  लगवाना चाहिए. यदि इस तरह की चुनौती दी जा रही है और दोनों टीके पूरी तरह विश्वसनीय व निरापद हैं तो प्रधानमंत्री (PM Modi), राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सभी केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों एवं न्यायपालिका व प्रशासन के प्रमुखों को पहले टीका लगवाना चाहिए. उनके ऐसा करने से जनता में टीके के प्रति विश्वास बढ़ेगा.

यह कोई अटपटी बात नहीं है. सभी विकसित देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री पहले टीका लगवा रहे हैं. रूस, अमेरिका व ब्रिटेन में ऐसा हुआ है, फिर भारत में ऐसा करने में क्या हर्ज है? इससे दो लाभ होंगे, एक तो हमारे वीवीआईपी कोरोना संक्रमण के खतरे से सुरक्षित हो जाएंगे जिनकी बहुमूल्य सेवाओं की देश को अत्यंत आवश्यकता है और दूसरे, विपक्ष की शंकाओं का निराकरण भी हो जाएगा. जब वैक्सीन लगाने की प्राथमिकता में 1 करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और 2 करोड़ कोरोना वारियर्स हैं तो उसी प्रकार हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल व मुख्यमंत्री भी सर्वाधिक प्राथमिकता की सूची में आते हैं. जनता चाहेगी कि वे पहले वैक्सीन लेकर निरापद हो जाएं. उनकी इस पहल से करोड़ों देशवासियों का मनोबल एवं साथ ही वैक्सीन की क्षमता पर भरोसा भी बढ़ेगा.