रविशंकर पर उंगली उठी आईटी मंत्रालय में करोड़ों का घोटाला

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    कोई सोच भी नहीं सकता था कि पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद गंभीर आरोपों के घेरे में आ जाएंगे. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया कि जुलाई 2019 से 2020 तक आईटी मंत्रालय की ओर से एक निजी कंपनी को फाइबर केबल के परिचालन व रखरखाव के लिए करोड़ों रुपए दिए गए.

    कांग्रेस ने कैग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के चलते आईटी मंत्रालय का ‘भारत नेट’ कार्यक्रम तेजी नहीं पकड़ सका. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या दूरसंचार विभाग सीएससी-एसपीवी और अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई पीएससी-वाईफाई चौपाल सर्विसेस इंडिया प्रा. लि. के माध्यम से निजी क्षेत्र की कंपनियों को अप्रत्यक्ष रूप से ठेके दे रहा था?

    खास बात यह है कि एक निजी संस्था न केवल सरकारी परिसर से काम कर रही थी, बल्कि अशोक स्तंभ की सरकारी मुद्रा का इस्तेमाल भी कर रही थी जिससे लोगों को ऐसा लगे जैसे वह कोई सरकारी कंपनी है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रश्न किया कि कैसे कोई निजी कंपनी सरकारी प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ का इस्तेमाल कर रही थी और अभी कितनी कंपनियां ऐसा कर रही हैं? टेलीकॉम मंत्रालय में चल रहे इस तरह के घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए. उन्होंने प्रश्न किया कि बीजेपी और सीएससी-एसपीवी के बीच क्या संबंध है? सेवा से जुड़े करार का अभाव और गड़बड़ी को दूर करने की कोई मुद्दत तय नहीं होने के कारण सीएससी पर कोई दबाव या प्रतिरोध नहीं था. खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री का इस्तीफा लेना पर्याप्त है? करोड़ों रुपयों के घोटाले के कांग्रेस के इस आरोप पर सरकार की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.