जब कोरोना महामारी का राज्य में भीषण प्रकोप है और महाराष्ट्र में चीन से भी ज्यादा केस देखे जा रहे हैं तो विधान मंडल का मानसून सत्र टालने के अलावा कोई चारा भी नहीं था।सरकार ने 22 जून से शुरु होने वाले सत्र को 3 अगस्त तक टालने का फैसला कर लिया है।
जब कोरोना महामारी का राज्य में भीषण प्रकोप है और महाराष्ट्र में चीन से भी ज्यादा केस देखे जा रहे हैं तो विधान मंडल का मानसून सत्र टालने के अलावा कोई चारा भी नहीं था।सरकार ने 22 जून से शुरु होने वाले सत्र को 3 अगस्त तक टालने का फैसला कर लिया है।यह सत्र मुंबई में होगा और सिर्फ 4.5 दिन का होगा।इतने संक्षिप्त सत्र में चर्चा भी क्या होगी लेकिन औपचारिक निभा ली जाएगी।निश्चित रूप से कोरोना संकट ने जनजीवन के सभी पहलुओं को बुरी तरह प्रभावित किया है।परिवार समाज और राजनीति शिक्षा, उद्योग-व्यापार सभी पर इसका गहरा असर पड़ा है।जब मिलना-जुलना, सभा-सोसायटी, सार्वजनिक कार्यक्रम सभी ठप हैं तो विधान मंडल त्र होना तो दूर की बात है।अनिश्चितता के इस दौर में सब कुछ असामान्य है।यदि विधान मंडल सत्र होगा तो भी वहां सदस्य सोशल डिस्टेंसिंग रखरक दूर-दूर बैठेंगे।भी के चेहरे पर मास्क लगा होगा।हर बैठक श्ल पहले प्रवेश द्वार से लेकर सदन के भीतर तक सब कुछ सैनिटाइज किया जाएगा।सदस्य हाथ मिलाने और गले लगने की पुरानी आदतें छोड़कर दूर से नमस्कार करेंगे।दिमाग पर सोशल डिस्टेंसिंग इतनी हावी रहेगी कि विधान मंडल में अब सदस्यों की धक्का, मुक्की या अध्यक्ष के आसन तक नारे लगाते हुए पहुंच जाने की घटनाएं बिल्कुल भी नहीं होगी।कोरोना ने सभी का संयत, अनुशासित व नियंत्रित बना दिया है।विधेयकों पर भी लंबी चर्चा शायद ही हो पाएगी।ज्यादातर दिल ध्वनिमत से पारित करा लिए जाएंगे।मास्क पहनने की वजह से सदस्यों की भावभगीमा का भी पता नहीं चल पाएगा कि वे संतुष्ट है या असंतुष्ट, खुश हैं या नाराज, हर्षित हैं या दुखी, शांत हैं या उत्तेजित।विधान मंडल सत्र होगा भी तो उसमें चर्चा के मुख्य विषय कोरोना से ही जुड़े हुए होंगे।इसमें कोरोना के व्यापक संक्रमण, इलाज में लापरवाही, अस्पतालों का रवैया, कोविड योद्धाओं की सराहना, प्रवासी मजदूरों की समस्या जैसे मुद्दे की हावी रह सकते हैं कि आपदा से निपटने में किसने ज्यादा सक्रियता दिखाई।विपक्ष की ओर से सत्ता पक्ष पर अक्षमता के आरोप लगाए जा सकते हैं।राज्य सरका कह सकती है कि केंद्र से उसे अपेक्षित मदद नहीं मिल पाई।विपक्ष के नेता रूप में देवेंद्र फडणवीस, आक्रामकता दिखा सकते हैं और गठबंधन सरकार की कमजोरियां गिना सकते हैं।सप्ताह भर के सत्र में इससे ज्यादा होगा भी क्या?