कोरोना की तीसरी लहर निकट अनावश्यक पर्यटन पर रोक लगाएं

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    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि कोरोना की तीसरी लहर बेहद करीब है. ऐसे में पर्यटन व तीर्थयात्राएं कुछ महीने और टाली जा सकती हैं. यह देखकर बेहद दुख होता है कि देश के कई भागों में जनता और सरकार दोनों ही लापरवाह हो गए हैं. सभी कोविड प्रोटोकाल का पालन किए बगैर भीड़ इकट्ठा करने में जुटे हैं. बिना वैक्सीनेशन के लोगों को जाने देना खतरनाक है. ये लोग कोरोना की तीसरी लहर के लिए सुपरस्प्रेडर बन सकते हैं. अगले 2-3 महीने तक कोई खतरा नहीं उठाना चाहिए.

    इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों से संवाद में लोगों के बर्ताव पर गहरी चिंता जताई है. हिल स्टेशनों पर उमड़ी भारी भीड़ पर आपत्ति जताते हुए मोदी ने कहा कि तीसरी लहर अपने आप नहीं आएगी, उसे रोकने के लिए लोगों को अपना एंटरटेनमेंट रोकना होगा. यदि पर्यटकों की ऐसी भीड़ में एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित हुआ तो कई लोगों को संक्रमित कर देगा. गत सप्ताह मसूरी के केंप्टी फॉल पर सैकड़ों लोग बगैर मास्क पहने इकट्ठा हुए थे. जब इस जमावड़े का वीडियो सामने आया तो उत्तराखंड सरकार को होश आया. उसने निर्देश दे दिया कि एक बार में 50 से ज्यादा लोगों को नीचे उतरने की इजाजत नहीं दी जाएगी. अभी भी हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में पर्यटकों की भीड़ इस तरह नजर आ रही है मानो कोरोना का भय ही निकल गया हो. यह बात सही है कि लोग अपने घरों में रहकर उकता गए हैं और घूमना-फिरना चाहते हैं लेकिन जान है तो जहान है. किसी व्यक्ति ने वैक्सीन के दोनों डोज ले लिए हैं, तो भी वह संक्रमित हो सकता है. इसलिए समझदारी का तकाजा है कि लोग अभी पर्यटन को टालें. वहां होने वाली भारी भीड़ संक्रमण फैला सकती है.

    जिन राज्यों की आय पर्यटन पर निर्भर है, वे भी अपने यहां सीमित संख्या में पर्यटकों को अनुमति दें. यह चिंता की बात है कि नैनीताल-मसूरी की ओर हजारों वाहन गए हैं. हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड की सरकारों को चाहिए कि स्थिति की गंभीरता को समझें और पर्यटन की खुली छूट न दें. लोग भी समझें कि अभी कुल्लू-मनाली न जाएं तो कुछ बिगड़ने वाला नहीं है. कोरोना का खतरा टला नहीं है. वायरस रूप बदलकर अधिक खतरनाक हो सकता है. दूसरी लहर ने समूचे देश को दहला दिया, फिर भी यदि लोग सबक नहीं ले रहे तो आश्चर्य की बात है.