भंडारा के सरकारी अस्पताल में 8 जनवरी को लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं को जान गंवानी पड़ी थी.
सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था और वहां के अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही व कोताही जानलेवा साबित होती है. भंडारा के सरकारी अस्पताल में 8 जनवरी को लगी भीषण आग में 10 नवजात शिशुओं को जान गंवानी पड़ी थी. माताएं अपने कलेजे के टुकड़े को खो बैठीं. जन्म के बाद इन्क्यूबेटर में रखे गए बच्चे को गोद में भी न ले पाई थीं कि क्रूर काल ने उन्हें सदा के लिए छीन लिया. इस संबंध में जांच करने वाली कमेटी ने अपनी 50 पृष्ठों की रिपोर्ट राज्य सरकार को पेश की जिसमें हादसे का कारण शार्ट सर्किट बताया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि भविष्य में ऐसी त्रासदी टालने के लिए किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.
रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि इस घोर लापरवाही में अस्पताल के कुछ वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे जिन्होंने समय पर अस्पताल का फायर ऑडिट नहीं करवाया और उपकरणों का मेंटनेंस ठीक ढंग से नहीं हुआ. यह सचमुच अक्षम्य है. जिन नवजात शिशुओं का वजन कम होता है अथवा जिनका समय पूर्व जन्म होता है, उन्हें इन्क्यूबेटर में रखा जाता है जिसका तापमान नियंत्रित रहना चाहिए. शार्ट सर्किट होने से आधी रात में भीषण आग लगी जिसमें अस्पताल प्रशासन 10 नवजात बच्चों को नहीं बचा पाया जबकि अन्य 7 बच्चे बचा लिए गए. इस हादसे के समय संबंधित वार्ड में कोई भी उपस्थित नहीं था.
दुर्घटना के लिए 2 नर्स और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. आश्चर्य की बात है कि यह अस्पताल दमकल विभाग के एनओसी के बगैर ही चल रहा था. अस्पताल प्रशासन उचित देखरेख व सावधानी रखता तो यह हादसा टाला जा सकता था. रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए जिला अस्पताल अग्निकांड प्रकरण की रिपोर्ट मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री को दी जाएगी. विभाग के सचिव व आयुक्त इस रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे.
स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाएगी. यह अत्यंत आवश्यक है ताकि आगे के लिए लोगों को सबक मिले. भंडारा के सरकारी अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद सरकार की आंखें खुली हैं. इसके बाद सारे राज्य के सरकारी अस्पतालों का फायर ऑडिट करने का आदेश दिया गया है. पुरानी इमारतें भी खस्ताहाल हो चली हैं इसलिए वहां भी ध्यान देना जरूरी है. स्ट्रक्चरल ऑडिट के बाद तत्काल निधि स्वीकृत की जानी चाहिए.