ऐसे मौके पर जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत आए हुए हैं, तब दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शन का हिंसक रूप लेना किसी बड़ी साजिश का संकेत देता है. इसके पीछे भारतीय लोकतंत्र की साख गिराने की मंशा हो
ऐसे मौके पर जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत आए हुए हैं, तब दिल्ली में सीएए विरोधी प्रदर्शन का हिंसक रूप लेना किसी बड़ी साजिश का संकेत देता है. इसके पीछे भारतीय लोकतंत्र की साख गिराने की मंशा हो सकती है. इस हिंसा में एक हेड कांस्टेबल रतनलाल को जान गंवानी पड़ी और एक डीसीपी सहित अनेक व्यक्ति जख्मी हो गए. बड़े पैमाने पर पथराव कर रहे उपद्रवियों पर पुलिस गोलीबारी में 9 लोग मारे गए. दंगाइयों ने यह मौका इसीलिए चुना क्योंकि ट्रम्प की यात्रा की वजह से दुनिया का सारा ध्यान भारत पर है और ऐसे मौके पर सरकार कोई सख्त कदम उठाए तो उसे अलोकतांत्रिक कहने का बहाना मिल जाए. अनेकता में एकता वाले हमारे देश की छवि बिगाड़ने की बुरी नीयत भी इसके पीछे नजर आती है. किसी भी शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान शरारती तत्व हिंसा भड़काने की ताक में रहते हैं. इस दौरान दिल्ली, अलीगढ़ व गुजरात में जमकर पत्थरबाजी व आगजनी हुई. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोधियों के अलावा समर्थकों की भी तादाद कम नहीं है. इस तरह की घटनाओं के पीछे देश को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की गहरी साजिश नजर आती है. इसके पीछे किन ताकतों का हाथ है, इसका पर्दाफाश किया जाना चाहिए. भारत के सर्वसमावेशी लोकतंत्र के दामन पर दाग लगाने का षडयंत्र कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि राजधानी में हिंसा भड़काने के लिए बाहर से लोग आ रहे हैं. दिल्ली को सुलगाने के पीछे पीएफआई का हाथ भी बताया जाता है. दिल्ली के उपद्रवों की वजह से परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं और मेट्रो का संचालन भी रोकना पड़ा. लोकतंत्र में असहमति का स्थान है परंतु हिंसा असमर्थनीय है. दोनों ही पक्षों को संयम बरतना होगा. जिस प्रकार की स्थिति देखी जा रही है, उससे सामाजिक सद्भाव खतरे में पड़ सकता है. राष्ट्रविरोधी ताकतों पर कठोरता से अंकुश लगाना होगा.