जदयू कोटे से मंत्री बनाए गए मेवालाल चौधरी केवल 72 घंटे ही अपने पद पर रह पाए.
क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे डा. मेवालाल की असलियत मालूम नहीं थी जो उन्हें शिक्षा मंत्री बनाने की निंदनीय भूल की? यह तो जानबूझकर मक्खी निगलने जैसी बात हुई. सुशासन बाबू कहलाने वाले नीतीश कुमार ने आखिर क्या सोचकर ऐसे व्यक्ति का चयन किया जिसका दामन दागदार रहा है? जदयू कोटे से मंत्री बनाए गए मेवालाल चौधरी केवल 72 घंटे ही अपने पद पर रह पाए. मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने अवास में तलब किया और दोनों के बीच आधा घंटे बात हुई. इसके बाद मेवालाल ने पद से इस्तीफा दे दिया. मेवालाल पर उनके कुलपति रहते भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय में 2012 में सहायक प्राध्यापक और जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने के आरोप हैं. पत्नी स्व. नीता चौधरी की संदिग्ध मौत का आरोप भी उन पर लगाया जा रहा है. गत वर्ष गैस सिलेंडर में लगी आग में उनकी पत्नी की मौत हो गई थी. मेवालाल का रिकार्ड संदेहास्पद रहा है. यह भी एक अजूबा है कि बिहार में विधायक मेवालाल चौधरी के घर उनके मंत्री बनने की खुशियां पल भर ही टिकी रहीं. पदभार ग्रहण करने के कुछ ही देर बाद इस्तीफा देने वाले चौधरी के घर पर अभी ‘मंत्री’ की नेम प्लेट भी नहीं लगी थी. आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया. थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया. कुछ घंटे बाद इस्तीफे का नाटक रचाया. असली गुनहगार नीतीश हैं. उन्होंने जानबूझकर ऐसे व्यक्ति को मंत्री क्यों बनाया? ऐसा दोहरापन और नौटंकी अब नहीं चलने दी जाएगी. महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी. सभी को 19 लाख नौकरी, संविदा नियुक्ति, समान काम समान वेतन जैसे अनेकों जन सरोकारों के मुद्दों के लिए हम मिलते रहेंगे. नीतीश कुमार के गलत निर्णय से उनकी पार्टी और सरकार की छवि बिगड़ी और एक नया विवाद खड़ा हो गया. तारापुर से निर्वाचित मेवालाल चौधरी के मंत्री पद की शपथ लेते समय भी विपक्ष ने भारी हंगामा किया था. पिछले 2 दिनों से आरजेडी लगातार मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप और उनकी पत्नी की संदिग्ध मौत के मामले में संलिप्तता को लेकर जांच की मांग कर रहा था. आखिर नीतीश कुमार की समझ में आ गया कि वे मेवालाल को मंत्री पद पर कायम नहीं रख पाएंगे, इसलिए उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया. कुछ ही घंटों में किसी मंत्री का पद से हटना यही दिखाता है कि नीतीश के निर्णय दोषपूर्ण हैं. आरजेडी भी सशक्त विपक्ष के रूप में जमकर दबाव डाल रहा है तथा सरकार की गलतियों पर नजर रखे हुए है.