कोरोना का कारोबार पर कहर देश की 10,113 कंपनियां बंद हुईं

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    कोरोना महामारी(Coronavirus) का सिर्फ स्वास्थ्य पर ही असर नहीं पड़ा बल्कि इसने अर्थ व्यवस्था पर भी अत्यंत विपरीत प्रभाव डाला. अप्रैल 2021 से फरवरी 2021 तक की 10 माह की अवधि में देश की 10,000 से ज्यादा कंपनियों में कारोबार बंद कर दिया. कंपनियां बंद हो जाने से उत्पादन को भारी नुकसान तो हुआ ही, साथ ही बेरोजगारी (Unemployment) भी बहुत बड़े पैमाने पर बढ़ी. जिनकी नौकरी चली गई, उनके पास कोई विकल्प नहीं रहा था.

    उन्होंने सोचा भी नहीं था कि जहां व काम करते थे वह कंपनी अकस्मात बंद हो जाएगी और उन्हें सड़क पर आना पड़ेगा. हर कर्मचारी चाहे छोटा हो या बड़ा, उसके पीछे परिवार रहता है. सोचा जा सकता है कि उन परिवारों की क्या दशा हुई होगी. घर का खर्च, मकान किराया, बच्चों की फीस का क्या हुआ होगा. कुछ बचत रही होगी तो उसका भी बंटाढार हो गया होगा. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन से मांग प्रभावित हुई और मांग नहीं रह जाने से उत्पादन ठप हो गया. बड़ी-बड़ी कंपनियां धड़ल्ले से बंद होती चली गई.

    कारपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों से यह बात सामने आ गई कि फरवरी तक चालू वित्त वर्ष में कंपनी कानून की धारा 248 (2) के तहत कुल 10,113 कंपनियों (Companies) को बंद कर दिया गया था. इस धारा का अर्थ है कि कंपनियां किसी दंडात्मक कार्रवाई की वजह से नहीं बल्कि कंपनियों ने अपने कारोबार को स्वेच्छा से बंद कर दिया. महामारी की वजह से विभिन्न राज्यों में बंद हुई कंपनियों की संख्या इस प्रकार है- दिल्ली 2,394, उत्तरप्रदेश 1,936, महाराष्ट्र (Maharashtra) 1,279, तमिलनाडु 1,322, कर्नाटक 836, तेलंगाना 404, केरल 137, झारखंड 137, मध्यप्रदेश 111, कारपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि उनका मंत्रालय उन कंपनियों का कोई रिकार्ड नहीं रखता जो व्यवसाय से बाहर हो चुकी है.