जम्मू-कश्मीर के विकास में भेदभाव नहीं

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जम्मू-कश्मीर (Kashmir and Jammu) के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने आश्वस्त किया कि जम्मू और कश्मीर हमारी 2 आंखें हैं जिनका समान भाव से विकास किया जाएगा. सरकार इन दोनों क्षेत्रों के बीच कोई भेदभाव नहीं कर रही है. विपक्षी पार्टियों की यह सोच गलत है कि जिला विकास परिषद के चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव टाल दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव क्षेत्र परिसीमन आयोग का काम पूरा हो जाने के बाद विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि घाटी में जनसंख्या में बदलाव की बात बेबुनियाद है. जम्मू-कश्मीर की 90 प्रतिशत जमीन कृषिभूमि है. जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई व्यक्ति कृषिभूमि नहीं खरीद सकता. यहां तक कि जम्मू-कश्मीर में भी केवल किसान ही ऐसी जमीन खरीद सकेंगे.

लोगों को व्यर्थ की आशंका नहीं रखनी चाहिए. ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है कि किसी बाहरी राज्य के व्यक्ति ने 5 अगस्त 2019 के बाद से कश्मीर में जमीन खरीदी हो. उपराज्यपाल से जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के उस बयान के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने विपक्षी पार्टियों के गठबंधन को गुपकार गैंग (Gupkar Gang) कहा था तो सिन्हा ने कहा कि पार्टी के नेता रूप में उन्हें राजनीतिक बयान देने का पूरा अधिकार है. नेताओं की ऐसी बयानबाजी आपस में चलती है. हम संवैधानिक पद पर हैं और हमें इससे कोई मतलब नहीं है. उपराज्यपाल सिन्हा ने पिछले 4 महीने में जम्मू-कश्मीर के सभी 10 जिलों का दौरा किया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग धर्म या जाति के आधार पर जम्मू-कश्मीर में भेद डालना चाहते हैं लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं है. वह दोनों ही क्षेत्रों का समान रूप से विकास करेगी. प्रशासन के इरादे काफी स्पष्ट हैं.

डीडीसी चुनाव में कश्मीर की 14 सीटों और जम्मू की 17 सीटों पर छठे चरण के चुनाव में 51.5 प्रतिशत मतदान हुआ. जम्मू डिवीजन में मतदान अधिक हुआ जबकि दक्षिण कश्मीर के जिलों में वोटिंग कम हुई. शोपियां और पुलवामा में चुनाव के बहिष्कार के बावजूद कश्मीर में 32.5 प्रतिशत वोटिंग हुई. जम्मू में 68.5 प्रतिशत वोटिंग रिकार्ड की गई. शोपियां में 2 सीटों पर मतदान था जिसमें मतदाता गैरहाजिर रहे जबकि पुलवामा में 8.1 प्रतिशत वोटिंग हुई. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम व अनंतनाग में भी काफी कम मतदान हुआ. बारामूला व रोहमा में 2 सीटों पर 34.5 प्रतिशत वोटिंग हुई. कश्मीर घाटी में मतदान को लेकर वैसा उत्साह नहीं देखा गया जैसा जम्मू में था. इतने पर भी प्रशासन विश्वास बहाली के प्रयास कर रहा है.