एक दिन बाद ही घोषणा कैसे बदली, क्या CM को अंधेरे में रखा गया

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इस बात से लोगों को आश्चर्य है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने एक दिन ‘जनसंवाद’ में कहा कि फिलहाल लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू (Night Curfew) का कोई विचार नहीं है लेकिन इसके दूसरे ही दिन उन्होंने नाइट कर्फ्यू लगा दिया. इससे प्रश्न उठता है कि क्या महाराष्ट्र में कोरोना (Maharashtra Coronavirus) की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखा गया? क्या वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों ने उन्हें कोरोना आपदा की गंभीरता को लेकर समुचित सूचना नहीं दी? ऐसा तो हरगिज नहीं होना चाहिए.

ऐसा भी लगता है कि क्रिसमस मनाने के लिए रात में होने वाली भीड़ का विचार तक नहीं किया गया होगा, तभी तो दूसरे दिन ली गई अपनी बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बैठक 25 से 31 दिसंबर तक कानून और व्यवस्था के मुद्दों से निपटने के लिए आयोजित की गई थी. कोरोना अवधि के दौरान क्रिसमस और नए साल के स्वागत पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. इस नाइट कर्फ्यू का सीधा असर होटल और रेस्तरां संचालकों पर होगा जो आधी रात की पार्टी व जश्न के लिए अपने प्रतिष्ठान खुले रखते हैं और अच्छी-खासी कमाई करते हैं. मुख्यमंत्री ठाकरे के यू-टर्न से होटल संचालकों में नाराजगी है. उनका तर्क है कि सिर्फ शहरों को ही टारगेट क्यों बनाया जा रहा है? क्या ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना नहीं होता है? नगर निगम क्षेत्रों में 14 दिनों का नाइट कर्फ्यू है जिसमें रात 11 बजे के बाद कोई नागरिक अपने घर से नहीं निकलेगा.

जो लोग बाहर निकलेंगे, उनकी जांच की जाएगी और कोई अकारण घूमता मिला तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. नाइट कर्फ्यू के आदेश से ग्रामीण क्षेत्रों को मुक्त रखा गया है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में चलने वाले रिसोर्ट, बार, रेस्टॉरेंट और फार्महाउस के संचालक खुश हैं और ज्यादा बिजनेस की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन मुसीबत उन लोगों की होगी जो पार्टी मनाकर यहां से लौटेंगे. इन लोगों पर पुलिस एक्शन ले सकती है, इसलिए सामान्य लोग बाहर जाना मुनासिब नहीं समझेंगे. इस तरह चाहे क्रिसमस का जश्न हो या नए वर्ष के आगमन का उल्लास, सभी पर कर्फ्यू पानी फेर देगा. नगरपालिका क्षेत्र में 5 जनवरी तक रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा. कहा जा रहा है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट पाए जाने के बाद बनी गंभीर स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने यह बैठक ली. जो भी हो, एक दिन की घोषणा जब दूसरे दिन अचानक बदल जाए तो हैरत होती ही है.