PM से उद्धव की मुलाकात-बातचीत आगे क्या?

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    मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आघाड़ी नेताओं अजीत पवार और अशोक चव्हाण के साथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगभग डेढ़ घंटा चर्चा की. उन्होंने इस चर्चा में महाराष्ट्र से जुड़े 12 मुद्दे उठाए, जिनमें सर्वाधिक महत्व का मुद्दा मराठा आरक्षण से संबंधित था. प्रधानमंत्री ने शांतिपूर्वक उनकी बातें सुनी लेकिन नतीजा क्या निकला? ऐसा नहीं लगता कि पीएम ने किसी मुद्दे पर उन्हें ठोस आश्वासन दिया. मराठा आरक्षण देने के लिए आरक्षण की संवैधानिक सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ानी पड़ेगी. इसके लिए पुनर्विचार याचिका दायर करना या बार-बार यह बताना कि यह समाज सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है, कोई अर्थ नहीं रखता.

    ओबीसी आरक्षण भी 50 प्रतिशत की मर्यादा लांघने से नकारा जा सकता है. फसल बीमा योजना, मेट्रो प्रकल्प, चक्रवात से हुई क्षति का मुआवजा, जीएसटी रकम की वापसी, मराठी भाषा को अभिजात्य भाषा का दर्जा आदि प्रश्न पहले भी मौजूद थे और आज भी हैं. इनमें से किसी भी मुद्दे पर निर्णय नहीं हुआ. फसल बीमा एक राष्ट्रीय प्रश्न है. इसी तरह समुद्री तूफान से हुई क्षति की नुकसान भरपाई का मुद्दा 6-7 राज्यों से जुड़ा है. महाराष्ट्र की जनता को केवल इतना ही भान कराया गया कि उसकी समस्याओं पर दिल्ली जाकर चर्चा की गई. कांग्रेस पहले ही इस बैठक को लेकर खुश नहीं थी. एनसीपी को भी राजनीतिक सौदेबाजी में रस नहीं था. वास्तव में इस दौरे से उद्धव ठाकरे ने यह जताने की कोशिश की कि मराठा आरक्षण पर केंद्र को निर्णय लेना होगा. अजीत पवार ने भी कहा कि प्रधानमंत्री मराठा आरक्षण पर ध्यान देंगे.

    यह निर्णय महाराष्ट्र सरकार की वजह से रुका नहीं है. ऐसा ही मामला स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण का है. उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री मोदी के साथ 30 मिनट अकेले बंद कमरे में हुई बातचीत से आघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस-राकां की धुकधुकी बढ़ गई है कि दोनों में क्या चर्चा हुई. वैसे प्रदेश राकां अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि इस मुलाकात से हमें किसी तरह का धोखा नहीं है. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि संवाद से हमेशा फायदा होता है. मुख्यमंत्री मुझे भी साथ ले गए होते तो अधिक आनंद आता.