पहले ही आत्मघाती कदमों से पाकिस्तान खुद का नुकसान करता आया है.
आखिर पाकिस्तान को समझ में आ गया कि भारत पर निर्भरता के बगैर उसका गुजारा नहीं है. जिस चीन को वह विगत कुछ वर्षों से अपना आका समझता आया है, वह उसकी तमाम जरूरतें पूरी नहीं कर सकता. अमेरिका की छत्रछाया से भी पाकिस्तान वंचित हो चुका है. उसकी आर्थिक हालत भी खस्ता है. पहले ही आत्मघाती कदमों से पाकिस्तान खुद का नुकसान करता आया है. उसकी मूर्खता इस बात से स्पष्ट है कि जब भारत ने अगस्त 2019 में संविधान का अनुच्छेद 370 रद्द कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था तो पाकिस्तान ने नाराजगी दिखाते हुए भारत के साथ रिश्ते को तोड़ लिया था.
यहां उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की शत्रुतापूर्ण हरकतों, आतंकवाद को बढ़ावा और सीमा पर गोलीबारी के बावजूद भारत ने व्यापार के मामले में उसका ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (अत्यंत चहेता राष्ट्र) का दर्जा जारी रखा था. इतनी उदारता के बावजूद पाक ने खुद होकर भारत से संबंध तोड़ लिए थे. अब उसे भारत की गरज पड़ी और पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने भारत से कपास और चीनी के आयात को मंजूरी दे दी है. यह कदम दोनों देशों के व्यापारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा.
पाकिस्तान ने भारत से कपास व अन्य कृषि उत्पादों का आयात रोक दिया था. नतीजा यह निकला कि पाकिस्तान में शक्कर की कीमतें आसमान छूने लगीं. कपास उपलब्ध नहीं होने से कपड़ा उद्योग संकट में पड़ गया जिसे बचाना जरूरी हो गया. पहले ही पाक में भारी बेरोजगारी है. कपड़ा मिलें बंद हो जाने से और मजदूर बेरोजगार हो जाते, इसलिए भारत से कपास मंगाना जरूरी हो गया.
पाकिस्तान 30 जून 2021 से भारत से कपास का आयात करेगा. वहां की सरकार का यह फैसला दोनों देशों में सामान्य होते रिश्तों की शुरुआत माना जा रहा है. पाकिस्तान यदि समझदारी दिखाते हुए आंतकवाद को बढ़ावा देना बंद कर दे और शांति व सहयोग का मार्ग अपनाए तो दोनों देशों के लिए समान रूप से हितकर होगा.