संसद लगातार ठप, विपक्ष आक्रामक BJP बेबस

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    पेगासस जासूसी व कृषि कानूनों का तीव्र विरोध, ध्वस्त अर्थव्यवस्था, भारी बेरोजगारी, पेट्रोल-डीजल-रसोई गैस की अंधाधुंध कीमतें ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर संसद में विपक्ष आक्रामक हो उठा है. बीजेपी ने फ्लोर मैनेजमेंट करने की यथासंभव कोशिश की लेकिन नाकाम रही. 2 सप्ताह से यही हाल है कि मानसून सत्र में संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही चल नहीं पा रही है. विपक्ष पहले ही दिन से पेगासस जासूसी मामले पर चर्चा और उसकी जांच कराए जाने की मांग कर रहा है लेकिन सरकार का कहना है कि यह कोई मुद्दा नहीं है.

    विपक्षी सांसद प्रतिदिन यह प्रस्ताव पेश कर रहे हैं जिसे स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इसी तरह किसान आंदोलन मुद्दे पर अकाली सदस्य सिमरनजीत कौर बादल का प्रस्ताव चर्चा के लिए नहीं लिया जा रहा है. ऐसी स्थितियों में शोरगुल और हंगामा होना स्वाभाविक है. संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी का कहना है कि सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस के संबंध में विस्तृत बयान दे दिया है. मोदी सरकार को इस बार विपक्ष के चक्रव्यूह ने घेर लिया है. कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, टीएमसी तथा अन्य विपक्षी पार्टियों ने आक्रामक रणनीति अपना रखी है. विपक्ष के पास धारदार मुद्दे हैं लेकिन वह नारेबाजी और हंगामा करने पर इसलिए मजबूर है क्योंकि पीठासीन अधिकारी इन पर चर्चा की अनुमति नहीं दे रहे हैं.

    सरकार इन असुविधाजनक मुद्दों पर सदन में अपनी खिंचाई होने और फिर जवाब देने की जिम्मेदारी से बचना चाहती है. इस दौरान वह अपने बहुमत के बल पर कुछ बिल पास कर रही है. विपक्ष का आरोप यह भी है कि संस्थागत ढांचे की उपेक्षा हो रही है. महत्वपूर्ण विधेयकों को चयन समिति के पास विचारार्थ भेजना टाला जाता है. प्रधानमंत्री किसी मुद्दे पर स्वयं जवाब देने आगे नहीं आते. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं और सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों की जासूसी मामले पर यदि सरकार चर्चा के लिए तैयार हो जाए तो संसद का गतिरोध तत्काल समाप्त हो जाएगा.