सऊदी अरब द्वारा तेल का उत्पादन बढ़ाने की घोषणा के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड आइल) की कीमतें पिछले 3 माह में 48.33 फीसदी तक गिर चुकी हैं. इसके बावजूद तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल
सऊदी अरब द्वारा तेल का उत्पादन बढ़ाने की घोषणा के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड आइल) की कीमतें पिछले 3 माह में 48.33 फीसदी तक गिर चुकी हैं. इसके बावजूद तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम सिर्फ 8 प्रतिशत ही घटाए. सरकार ने कच्चे तेल के सस्ते होने का पूरा फायदा आम जनता को देने की बजाय इस अवसर का लाभ अपना खजाना भरने के लिए उठाया है. सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3-3 रुपये बढ़ा दी. सरकारी अधिसूचना के अनुसार स्पेशल एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये और रोड सेस में 1 रुपये की वृद्धि की है. इस तरह अब पेट्रोल पर 22.98 रुपये और डीजल पर 18.83 रुपये एक्साइज ड्यूटी हो गई है. दोनों पर रोड सेस भी 11-10 रुपये लीटर हो गया है. अभी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से सरकार का सालाना राजस्व 39,000 से 45,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है. मोदी सरकार जब 2014 में सत्ता में आई थी तब पेट्रोल पर 9.48 रुपये और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी थी. खास बात यह कि नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा जनता को देने की बजाय मोदी सरकार ने 9 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर अपना खजाना भरा था. उन 15 महीनों के दौरान पेट्रोल पर 11.75 और डीजल पर 13.47 रु. एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई थी. 2016-17 में एक्साइज के तौर पर 2 लाख 42 हजार करोड़ रुपये एकत्रित हुए थे जबकि इसके पूर्व 2014-15 में यह आंकड़ा 99,000 करोड़ रुपये था. अप्रैल 2014 के बाद से पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 142 प्रतिशत और डीजल पर 429 प्रतिशत बढ़ाई जा चुकी है. सरकार की दलील रही है कि देश में नए महामार्ग बनाने और सड़कों का जाल बिछाने के लिये धन की आवश्यकता है इसलिये सड़क उपकर (रोड सेस) में वृद्धि जरूरी है. पेट्रोल-डीजल महंगा रहने से महंगाई और बढ़ेगी. सरकार के कदम से जनता को राहत मिलने की संभावना खत्म हो गई. ऐसा भी कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आइल के दाम काफी घटने का लाभ उठाकर सरकार अपना सुरक्षित तेल भंडार और बढ़ाएगी. इसके लिए काफी मात्रा में तेल खरीदा जाएगा.