कांग्रेस (Congress) के प्राण केंद्र की सत्ता में बसते हैं. जबसे पार्टी ने सत्ता खो दी, वह निष्प्राण सी हो गई. न कोई उत्साह रहा, न जोश! 1885 में इटावा के कलेक्टर अल्बर्ट आक्टेवियन ह्यूम द्वारा स्थापित देश की इस सबसे पुरानी पार्टी के 136वें स्थापना दिवस (136th Foundation Day) पर न तो कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) मौजूद थीं, न पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandh). ऐसी हालत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटोनी ने ही पार्टी का झंडा फहराया. एक ओर तो गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस का पत्ता भी नहीं हिलता और दूसरी ओर इसी परिवार के दोनों सदस्य नदारद रहे.
क्या उन्होंने पार्टी के स्थापना दिवस को हल्के में लिया अथवा अपने दल को लावारिस छोड़ना उचित समझा! किसी भी पार्टी के लिए उसका स्थापना दिवस अत्यंत महत्व रखता है जिसमें शीर्ष नेता अवश्य ही उपस्थित रहते हैं और पार्टीजनों को प्रेरणा देते हैं व उनका उत्साह बढ़ाते हैं. सोनिया गांधी की गैरहाजिरी का कारण यह बताया जा रहा है कि वे इन दिनों ऐसे किसी भी कार्यक्रम में जाने से बच रही हैं जहां लोगों की अधिक उपस्थिति रहती है. संभवत: उनके डाक्टरों ने उन्हें मना किया होगा कि वे अपना स्वास्थ्य और उम्र देखते हुए इन्फेक्शन से बचें. वैसे भी अभी कोरोना संक्रमण से बचाव जरूरी हो गया है. उनका मौजूद न रहना समझ में आता है लेकिन कम से कम राहुल गांधी तो हाजिर रह सकते थे. वे भी इसी मौके पर विदेश यात्रा पर चले गए. पार्टी महासचिव रणदीप सुरजेवाला के अनुसार राहुल गांधी गंभीर रूप से बीमार किसी रिश्तेदार को देखने विदेश गए हैं. कुछ सूत्रों का कहना है कि वे अपनी वयोवृद्ध नानी को देखने इटली गए हैं.
वैसे तो सोनिया और राहुल का कांग्रेस स्थापना दिवस पर मौजूद रहना या न रहना पार्टी का निजी मामला है लेकिन इससे बीजेपी को फिकरा कसने का मौका मिल गया. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी जब भी भारत में छुट्टियों के लिए आते हैं तो कुछ दिन मन बहलाने के लिए राजनीति भी कर लेते हैं. भारत में उनकी छुट्टियां खत्म हो गई थीं तो वे अपने देश चले गए. इसी तरह केंद्रीय मंत्री सेवानिवृत्त जनरल वीके सिंह ने कहा कि इससे साफ हो जाता है कि राहुल गांधी स्वयं अपनी पार्टी के प्रति भी वफादार नहीं हैं. जो व्यक्ति पार्टी के प्रति वफादार नहीं है, वह किसानों के प्रति क्या वफादार होगा? बीजेपी की तीखी टिप्पणी के बावजूद कम से कम कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी तो स्थापना दिवस पर मौजूद थीं. उन्हें ही क्यों नहीं पार्टी का नेतृत्व सौंप दिया जाता?