रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की जल्द रिहाई की प्रार्थना कर रहे हैं. वे यह भी प्रार्थना करते हैं कि जब
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वे जम्मू-कश्मीर के 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की जल्द रिहाई की प्रार्थना कर रहे हैं. वे यह भी प्रार्थना करते हैं कि जब वह बाहर आएं तो कश्मीर की स्थिति को सुधारने में अपना योगदान दें. पता नहीं, राजनाथ सिंह यह प्रार्थना किससे कर रहे हैं? ईश्वर से प्रार्थना करने के बजाय वे गृहमंत्री अमित शाह से प्रार्थना करें तो उसका फल मिल सकता है. एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री दूसरे मंत्री से निवेदन करे तो वह निराश नहीं करेगा. यदि राजनाथ सिंह सचमुच यह समझते हैं कि लगभग 7 माह से नजरबंद इन नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए तो वे प्रधानमंत्री से चर्चा कर इसके लिए राजी कर सकते हैं. जिस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को हिरासत में लिया गया, वह कानून खुद फारूक अब्दुल्ला ने सत्ता में रहते हुए 1978 में चंदन व इमारती लकड़ी के तस्करों के खिलाफ बनाया था. इस कानून के तहत हिरासत में लेने का कोई कारण नहीं बताना पड़ता और 6 माह बीतने पर हिरासत की अवधि फिर 6 माह बढ़ाई जा सकती है. इस तरह किसी को वर्षों हिरासत में रखा जा सकता है. फारूक अब्दुल्ला तो श्रीनगर से नेशनल कांफ्रेंस की टिकट पर निर्वाचित लोकसभा सदस्य भी हैं. स्पीकर को भी अधिकार था कि वे संसद सत्र में हाजिर रहने के लिए फारूक को रिहा करने के लिए आदेश देते परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया. यह केंद्र सरकार की मर्जी पर है कि कब तक इन 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों तथा दर्जनों नेताओं को हिरासत में रखती है. यदि सरकार रिहाई के लिए कुछ शर्त लगाना चाहती है तो इन नेताओं से इस बारे में बात करे. यदि सरकार दावा करती है कि कश्मीर में स्थिति सामान्य हो चली है तो निर्वाचित सरकार लाने की दिशा में विचार करते हुए नेताओं की रिहाई के बारे में फैसला ले सकती है.