Anna Hazare
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    भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ने में अग्रणी रहे समाजसेवी अन्ना हजारे (Anna Hazare) ने राज्य सरकार से मांग की है कि राज्य सहकारी बैंक घोटाले की जांच  State Cooperative Bank scam) रिपोर्ट नामंजूर कर दी जाए जिसमें 65 से अधिक लोगों को क्लीन चिट दी गई है. अन्ना ने पुन: इस घोटाले की जांच कराने की मांग की है. उन्होंने इस बारे में कोर्ट में याचिका भी दाखिल की. जिन लोगों को रिपोर्ट में बेदाग बताया गया उनमें कुछ प्रभावशाली मंत्री भी शामिल हैं तो ऐसी हालत में सरकार इस रिपोर्ट को कैसे नामंजूर करेगी? 25,000 करोड़ रुपए के इस घोटाले की सेवानिवृत्त जज पंडितराव जाधव की अध्यक्षता में गठित जांच समिति से जांच कराई गई.

    इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जिसमें उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, (Ajit Pawar) हसन मुश्रिफ, आनंदराव अडसूल, विजयसिंह मोहिते पाटिल सहित विभिन्न पार्टियों के बड़े नेताओं व बैंक के डायरेक्टरों को निर्दोष बताया गया. इस घोटाले में तत्कालीन संचालक मंडल पर आरोप लगाया गया था तथा अजीत पवार सहित कई बड़े नेताओं पर मामले दर्ज हुए थे. 2011 में रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने राज्य सहकारी बैंक के संचालक मंडल को बर्खास्त कर दिया गया था. इस मामले में सफाई देते हुए हसन मुश्रिफ ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य बैंक का कोई घोटाला नहीं था. मैं बैंक के संचालक मंडल की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुआ था फिर भी बीजेपी विधायक चंद्रकांत पाटिल ने इस मामले में मुझे फंसाया और मुझे कांटे के समान रास्ते से हटाने के लिए बैंक की जांच करवाई.

    अब सहकार विभाग की रिपोर्ट में सत्य सामने आ गया है. सरकार ने रिपोर्ट स्वीकार कर ली है जिसे अन्ना को भी स्वीकार कर लेना चाहिए. अब देखना होगा कि अन्ना अदालत में कौन से सबूत पेश करते हैं. आमतौर पर सारे घोटाले मिलजुलकर किए जाते हैं. इसमें राजनेता व ऊंची पहुंच रखनेवाले लोग साफ बच निकलते हैं जबकि जनता को नुकसान उठाना पड़ता है. उसकी गाढ़े पसीने की कमाई डूब जाती है. बैंक का संचालक मंडल अपने लोगों को मोटी रकम कर्ज के रूप में देता है यह कर्ज वसूल नहीं हो पाता. इस तरह सहकार के नाम पर भ्रष्टाचार होता है. इसलिए सहकार घोटाला प्रकरण पर अन्ना हजारे का भड़कना स्वाभाविक है.