Saints were 76 years without eating and drinking

शरीर विज्ञान तो यही कहता है कि भोजन और पानी के बगैर शरीर चल ही नहीं सकता। ऊर्जा के लिए खाना जरूरी है, उसी तरह पानी पिए बगैर भी व्यक्ति का गुजारा नहीं है। शरीर के साथ भूख-प्यास लगी रहती है। कुछ लोग अनशन करते हैं तो कुछ ही दिनों में बहुत कमजोरी आ जाती है। निर्जला उपवास करने वाले भी एकाध दिन से ज्यादा ऐसा नहीं कर पाते।

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शरीर विज्ञान तो यही कहता है कि भोजन और पानी के बगैर शरीर चल ही नहीं सकता। ऊर्जा के लिए खाना जरूरी है, उसी तरह पानी पिए बगैर भी व्यक्ति का गुजारा नहीं है। शरीर के साथ भूख-प्यास लगी रहती है। कुछ लोग अनशन करते हैं तो कुछ ही दिनों में बहुत कमजोरी आ जाती है। निर्जला उपवास करने वाले भी एकाध दिन से ज्यादा ऐसा नहीं कर पाते। भोजन-पानी से दूर रहने का मतलब मौत के मुंह में जाना है। अत्यंत आश्चर्य की बात है कि गुजरात के पालनपुर अंबा माताजी मंदिर के निकट गब्बर पर्वत पर आश्रम बनाकर रहने वाले संत चुंदडी वाले माताजी ने 76 वर्षों से अन्न-जल त्याग दिया था लेकिन फिर भी 88 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। वे कोलाहल से दूर एकांत में साधना करते थे। उनका मूल नाम प्रहलाद जानी था। 11 वर्ष की उम्र से वे आध्यात्मिक जीवन जीने लगे तथा योग और प्राणायाम की शक्ति से बगैर खाए-पिए 76 वर्षों तक विज्ञान जाति को चुनौती देते हुए जिंदा रहे। प्रधानमंत्री मोदी व शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे उनके प्रशंसक रहे। कई वैज्ञानिकों व संस्थाओं ने उनकी इस निराली क्षमता की परीक्षा लेने के लिए उनका चौबीसों घंटे निरीक्षण किया किंतु कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकाल पाए कि बिना आहार या जल के यह संत कैसे जीवित हैं। रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान करने वाली जानी मानी संस्था डी आर डी ओ के साइंटिस्ट की एक टीम ने सीसीटीवी कैमरों से लगातार 15 दिनों तक 24 घंटे संत पर नजर रखी थी। यहां तक कि आश्रम के पेड़ पौधों का भी टेस्ट किया था परंतु पता ही नहीं लगा पाए कि अन्न जल ग्रहण किए बिना यह संत जीवित कैसे रहते हैं? ऐसा ही एक उल्लेख सेल्फ रियलाइजेशन सोसायटी के संस्थापक व महान योगी स्वामी योगानंद ने अपनी आत्मकथा ‘आटो बायोग्राफी आफ ए योगी’ में गिरिलाला नामक महिला के बारे में किया था। वह भी बगैर अन्न जल ग्रहण किए दीर्घकाल तक जीवित रही और पूरी तरह स्वस्थ थीं। वह भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती थी। योगियों की चमत्कारी शक्तियां विएान के दायरे से बाहर की बात है। यह रहस्य आज तक बना हुआ है कि ऐसा कैसे होता है। वाराणसी के तैलंग शास्त्री 300 वर्ष से भी ज्यादा जीवित रहे। संत ज्ञानेश्वर के समय योगी चंगदेव की आयु 400 वर्ष थी। विज्ञान के पास इन अजूबों का कोई समाधान नहीं है। प्रयागराज के संत देवराहा बाबा की आयु भी बहुत लंबी मानी जाती थी।