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केंद्र सरकार आगामी 1 अप्रैल से काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे (Working Hours) करने पर विचार कर रही है जिसमें हर 5 घंटे के बाद आधा घंटा ब्रेक देने का प्रस्ताव है. देश (India)में कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने के लिहाज से यह उल्लेखनीय कदम होगा परंतु ऐसा निर्णय लागू करने से पहले अंतरराष्ट्रीय श्रम मानदंडों पर भी विचार कर लेना उचित होगा. संभवत: चीन छोड़कर किसी भी देश में 12 घंटे काम नहीं लिया जाता.

5 दिनों के कार्य सप्ताह वाले अमेरिका(America)में 9 घंटे काम होता है जिसमें 1 घंटा ब्रेक रहता है. हर संस्थान में कुछ वर्कोहलिक अर्थात बहुत देर तक लगातार तन्मयता से काम करने वाले लोग होते हैं तो कितने ही पूरी तरह निकम्मे या कामचोर होते हैं. कुछ कुशल व प्रतिभाशाली होते हैं तो कुछ की बुद्धि ही नहीं चलती. हर व्यक्ति की काम करने की गति व आईक्यू लेवल एक समान नहीं हुआ करता. जिन संस्थानों में मानव संसाधन (एचआर) (Human Resources (HR) in Institutions) की निगरानी रहती है, वहां इन तथ्यों का पता चल जाता है. इससे प्रबंधन को निर्णय लेने में सुगमता होती है कि कौन रेस का घोड़ा है और कौन टट्टू! किसे पदोन्नति या वेतन वृद्धि दी जाए और किसे नहीं! संस्थान को प्रगति करनी है तो कुशल कर्मचारियों को किसी न किसी रूप में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

कारपोरेट में कर्मियों को टारगेट दिया जाता है और नियमित वर्क एसेसमेंट होता है, जिसके आधार पर ‘वर्कर आफ द मंथ’ भी घोषित किया जाता है. कोई कर्मचारी कछुआ चाल या मंथर गति से काम करे और दूसरा सूझबूझ और तत्परता से निर्धारित समय में अपना काम गुणवत्ता के साथ पूरा कर दिखाए तो क्या वह प्रोत्साहन का पात्र नहीं है? कर्मचारियों को अपने संस्थान के प्रति गर्व व आत्मिक जुड़ाव होना चाहिए जो उन्हें रोजी-रोटी दे रहा है. सर्वाधिक महत्व कार्यकुशलता का है. द्वितीय विश्व युद्ध में तबाह हो चुके जापान ने परिश्रम के साथ ही कार्यकुशलता की बदौलत तरक्की की. जहां तक काम के घंटे बढ़ाने का सवाल है, किसी शिक्षक या प्राध्यापक के लिए यह कैसे संभव है क्योंकि स्कूल-कॉलेज का कार्य समय 6-7 घंटे से ज्यादा नहीं रहता. बैंक कर्मी भी इसी श्रेणी में आते हैं. ये लोग 12 घंटे कैसे काम कर पाएंगे? कामकाजी महिलाएं घर-परिवार को कैसे समय दे पाएंगी? भारत गर्म देश है. अप्रैल-मई-जून में इतने घंटे काम कर पाना क्या संभव हो पाएगा? फैक्टरी वर्कर यदि 12 घंटे काम करेंगे तो प्रोडक्शन ज्यादा हो जाएगा. क्या बाजार में इतने प्रोडक्शन की मांग है? क्या अतिरिक्त उत्पादन को खपाने के लिए निर्यात को बढ़ावा देने की कोई योजना है?