The possibility of major reforms in the army

विगत वर्षों में महसूस किया जाता रहा है कि भारतीय सेना में जवान तो पर्याप्त भर्ती होते हैं लेकिन कमीशंड अफसरों की तादाद में कमी है.

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विगत वर्षों में महसूस किया जाता रहा है कि भारतीय सेना में जवान तो पर्याप्त भर्ती होते हैं लेकिन कमीशंड अफसरों की तादाद में कमी है. रणनीति निर्धारित कर मजबूत नेतृत्व देने वाले अधिकारियों का अपना महत्व होता है. अब डिपार्टमेंट आफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) ने प्रस्ताव रखा है कि बड़े सुधारों के तहत सेना के तीनों अंगों में अधिकारियों और जवानों की रिटायरमेंट की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि उनकी ट्रेनिंग, योग्यता व अनुभव का लाभ कुछ और वर्षों तक मिलता रहे. इसके मुताबिक थल सेना के कर्नल तथा वायुसेना व नौसेना में उनके समकक्ष अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु वर्तमान 54 वर्ष से बढ़ाकर 57 वर्ष कर दी जाएगी. ब्रिगेडियर और उनके समकक्षों की रिटायरमेंट एज वर्तमान 56 वर्ष से बढ़ाकर 58 वर्ष किए जाने का प्रावधान है लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल की सेवानिवृत्ति उम्र 60 वर्ष में कोई बदलाव नहीं किया गया है. जूनियर कमीशन प्राप्त अफसरों (जेसीओ) के साथ ही लॉजिस्टिक, टेक्निकल और मेडिकल शाखा के जवानों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाकर 57 साल की जाएगी जिसमें ईएमई, एएससी और एओसी को शामिल किया गया है. ऐसा करने से सेना में वरिष्ठ अफसरों की तादाद में सहसा कमी नहीं आएगी. इसी तरह तकनीकी व मेडिकल शाखा में भी मैनपावर बना रहेगा. यद्यपि युद्ध आदि का खतरा देखते हुए अधिकारियों को जल्दी रिटायर नहीं होने दिया जाता परंतु देश के सामने सीमा पर चीन-पाकिस्तान के दबाव के अलावा आतंकवाद की चुनौती लगातार बनी हुई है. बड़ी तादाद में काबिल अफसरों के रिटायर होने से दिक्कतें बढ़ जाती हैं इसलिए ऐसा प्रस्ताव तैयार किया गया है. आमतौर पर सेना के अनुशासित व कर्मठ अफसर रिटायरमेंट के बाद किसी कार्पोरेट या बड़ी कंपनियों में अधिक वेतन पर लग जाते हैं तो कुछ अपनी कंसल्टंसी या अन्य उपक्रम जैसे कि मिलिट्री स्कूल या कोचिंग संस्थान खोल लेते हैं. इन्हें निवृत्त करने की बजाय सेना इनकी योग्यता व कुशलता का और 2-3 वर्षों तक उपयोग कर सकेगी. सेवा पूरी होने से पहले रिटायरमेंट लेने वाले जवानों की पेंशन में कटौती की जाएगी. प्रस्ताव के अनुसार 20 से 25 वर्ष की सेवा पूरी करके निवृत्त होने वालों को 50 प्रतिशत पेंशन मिलेगी. 26 से 30 साल की सेवा पूरी कर रिटायर होने वालों को 60 प्रतिशत तथा 31 से 35 साल की अवधि पूरी करने के बाद रिटायर होने वालों को पूरी पेंशन मिलेगी. युद्ध के दौरान घायल होने या मेडिकल कारणों से पेंशन लेने वालों के लिए पेंशन योग्यताओं में कोई बदलाव नहीं किया गया है.