चुनाव आयोग ने 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव कार्यक्रम (West Bengal Assembly elections 2021) को जिस प्रकार नियोजित किया उसमें केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी व असम के लिए मतदान 6 अप्रैल को निपट जाएगा. केवल बंगाल का चुनाव ही 8 चरणों में होने से लंबा चलना है. बंगाल में तीसरे चरण का मतदान 6 अप्रैल, चौथे चरण का 10 अप्रैल, पांचवें का 17 अप्रैल, छठे का 22 अप्रैल, सातवें का 26 अप्रैल और आठवें व अंतिम चरण का मतदान 29 अप्रैल को होगा. यद्यपि असम में भी मतदान के 3 चरण रखे गए, परंतु बंगाल का चुनाव किसी युद्ध से कम नहीं है. राजनीति का सारा फोकस वहीं केंद्रित है.
प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सारा जोर बंगाल फतह करने पर लगा रहे हैं. चुनाव प्रचार में फिकरेबाजी व तीखापन ही नहीं, कटुता भी देखी जा रही है. पीएम का सर्वाधिक जोर बंगाल पर ही नजर आता है. वे टीएमसी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीधे निशाने पर लेकर जिस तरह वाकप्रहार करते हैं, वैसा ही जवाब देने में ममता भी पीछे नहीं रहतीं. प्रधानमंत्री का किसी विधानसभा चुनाव में इतनी सक्रियता दिखाना असामान्य व अटपटा लगता है. बंगाल में चुनाव के 5 चरणों के लिए प्रचार का अवसर शेष है. बीजेपी युद्धस्तर पर पूरी ताकत झोंक रही है. यह बात अलग है कि उसके पास सीएम पद का कोई चेहरा नहीं है. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को मुस्लिम वोटों में फूट पड़ने की आशंका सता रही है. बीजेपी में शामिल हो चुके टीएमसी के बागियों से भी वे जूझ रही हैं. बंगाल के चुनाव में कांटे की टक्कर है. विपक्षी पार्टियों के नेताओं को बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने की ममता की अपील से प्रधानमंत्री मोदी भी चौकन्ने हो गए हैं.