कोविड-19 ने ‘शिक्षा में लैंगिक भेदभाव’ संकट को जन्म दिया: यूनेस्को

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नयी दिल्ली. यूनेस्को (UNESCO) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी(Covid-19) ने शिक्षा के क्षेत्र में संकट पैदा कर दिया है तथा लैंगिक भेदभाव पर आधारित गहरी एवं विविध असमानताओं ने उसमें अहम भूमिका निभायी है। यूनेस्को ने वैश्विक शिक्षा निगरानी नामक एक (Global Education Monitoring) (GEM)रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते परिवारों के घरों पर ही रहने के दौरान लैंगिक हिंसा, किशोरावस्था में गर्भधारण एवं समय से पूर्व शादी में संभावित वृद्धि, विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से बालिकाओं के एक बहुत बड़े वर्ग के निकल जाने की संभावना, ऑनलाइन शिक्षण  (Online learning) के चलते लड़कियों को नुकसान होने तथा उन पर घरेलू कामकाज की जिम्मेदारियां बढ़ जाना जैसे कई प्रभाव सामने आये हैं।

उसने कहा, ‘‘कोविड-19 की संक्रामकता एवं प्राणघातकता पर अनिश्चिततता के कारण दुनियाभर में सरकारों को लॉकडाउन लगाना पड़ा, आर्थिक गतिविधियां बिल्कुल सीमित करनी पड़ी तथा विद्यालय एवं महाविद्यालय बंद करने पड़े। अप्रैल, में 194 देशों में 91 फीसद विद्यार्थी प्रभावित हुए। कोविड-19 महामारी ने शिक्षा का संकट पैदा कर दिया जिसमें विविध तरह की असमानताओं ने भूमिका निभायी। उनमें से कुछ असमानताएं महिला-पुरूष भेदभाव पर आधारित हैं। ” उसने कहा कि वैसे तो इन प्रभावों के हद का सटीक आकलन मुश्किल है लेकिन उसकी कड़ी निगरानी आवश्यक है। उसने कहा, ‘‘ इन प्रभावों में पहली चिंता यह है कि लॉकडाउन के दौरान परिवारों के घरों में लंबे समय तक ठहरने से लैंगिक हिंसा बढ़ी। चाहे ऐसी हिंसा मां को प्रभावित करे या लड़कियों को , लड़कियों की शिक्षा जारी रखने की समर्थता पर उसके परिणाम स्पष्ट है।

दूसरा, यौन एवं लिंग आधारित हिंसा तथा प्रजनन स्वास्थ्य, पुलिस, न्याय एवं सामाजिक सहयोग सेवाओं तक पहुंच नहीं हो पाने से शीघ्र गर्भधारण बढ़ सकती है। ” यूनेस्को की रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गयी है कि समयपूर्व शादियों से शीघ्र गर्भधारण में वृद्धि हो सकती है और यह समय पूर्व शादी की वजह महामारी के चलते परिवारों के गरीबी के दलदल में फंस जाने का परिणाम है।(एजेंसी)