पत्रकारिता पाठ्यक्रम की परीक्षा के सवालों पर विवाद, कांग्रेस ने की पर्चा रद्द करने की मांग

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इंदौर. मध्यप्रदेश सरकार के इंदौर स्थित देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (डीएवीवी) (Devi Ahilya Vishwavidyalaya (DAVV))की वार्षिक परीक्षाओं में पत्रकारिता के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के एक पर्चे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसमें परीक्षार्थियों को पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा की प्रचंड जीत और कांग्रेस (Congress)को “आशातीत विजय नहीं मिलने” के कारणों की व्याख्या करने को कहा गया है। पर्चे में यह भी पूछा गया है कि क्या मौजूदा हालात में देश में “एक दलीय व्यवस्था” लागू हो सकती है और आजादी के सात दशक बाद आरक्षण कितना उपयोगी है? ये सवाल ‘मास्टर ऑफ जर्नलिज्म’ (एमजे)( Master of journalism) की सालाना परीक्षा में “विविध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों का विश्लेषण” विषय के पर्चे में पूछे गये । यह पर्चा परीक्षाओं की ओपन बुक प्रणाली के तहत डीएवीवी की वेबसाइट पर 14 सितंबर को अपलोड किया गया और परीक्षार्थियों को लिखित उत्तरपुस्तिकाएं 19 सितंबर तक जमा करानी हैं। कांग्रेस ने विवादास्पद सवालों का हवाला देते हुए पर्चे को रद्द किये जाने की मांग की है, जबकि डीएवीवी प्रशासन का कहना है कि औपचारिक शिकायत मिलने पर वह मामले की जांच के बाद उचित कदम उठायेगा। राजनीतिक सवालों से जुड़ा यह विवाद संयोगवश मंगलवार को अन्तरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर सामने आया। विवादों में घिरे पर्चे का सवाल है- “2019 के आम चुनावों में भाजपा की जीत क्या नरेंद्र मोदी सरकार पर आम आदमी के भरोसे की मुहर है? समझाइये।”

पर्चे के एक अन्य प्रश्न में परीक्षार्थियों से पूछा गया है- “कांग्रेस को 2014 और 2019 के आम चुनावों में आशातीत विजय नहीं मिलने के कौन-से तीन कारण हो सकते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइये।” पर्चे का एक प्रश्न कहता है- “देश में एक दलीय व्यवस्था लागू हो सकती है? वर्तमान स्थितियों के संदर्भ में स्पष्ट कीजिये।” पर्चे में यह भी पूछा गया है- “आजादी के सात दशक बाद आरक्षण कितना उपयोगी है? सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने से समाज में आरक्षण की बढ़ती मांग पर क्या असर पड़ेगा?” प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने मंगलवार को जारी बयान में कहा, “यह बेहद आपत्तिजनक है कि डीएवीवी ने पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण संकाय की परीक्षाओं का भी भाजपाईकरण कर दिया है, जबकि उच्च शिक्षा संस्थान में इस विषय के विद्यार्थियों को दलीय निष्पक्षता का पाठ पढ़ाया जाना चाहिये।” शुक्ला ने कुलाधिपति और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben patel) से मामले में दखल का अनुरोध करते हुए डीएवीवी के विवादास्पद पर्चे को फौरन रद्द किये जाने की मांग की।

उधर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, “संबंधित पर्चे में पत्रकारिता के विद्यार्थियों से पूछे गये सवाल समसामयिक और प्रासंगिक विषयों से जुड़े हैं। अलग-अलग चुनावों में देश भर में पिटने से खिसियाई कांग्रेस इस पर्चे को लेकर फिजूल में बात का बतंगड़ बना रही है।” इस बीच, डीएवीवी के परीक्षा नियंत्रक अशेष तिवारी ने कहा, “अगर किसी व्यक्ति को संबंधित पर्चे पर आपत्ति है, तो वह हमें शिकायत कर सकता है। हम शिकायत पर जांच समिति गठित कर फैसला करेंगे कि पर्चे में किये गये सवाल उचित हैं या नहीं?” प्रश्नपत्र में “राष्ट्रवाद बनाम विकास” के मुद्दे, सर्जिकल स्ट्राइक, हाफिज सईद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किये जाने, भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी एवं जीएसटी के फैसलों के प्रभावों और तीन तलाक मामले को लेकर भी सवाल किये गये हैं। (एजेंसी)