भारतीय मेडिकल छात्रों में बढ़ी रूस की लोकप्रियता

  • सुरक्षित माहौल और कम खर्च

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मुंबई. सुरक्षित माहौल, कम खर्च और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा के कारण भारतीय मेडिकल छात्र रूस के विश्वविद्यालयों (Russian medical universities) को अधिक पसंद कर रहे हैं और विगत कुछ वर्षों में रूसी विश्वविद्यालयों के एमबीबीएस (MBBS) कोर्स की लोकप्रियता कई गुना बढ़ी है. वैसे अन्य कई देशों के मेडिकल छात्र भी रूस को प्राथमिकता दे रहे हैं. वर्तमान में रूसी विश्वविद्यालयों में 2.98 लाख विदेशी विद्यार्थी मेडिकल एजुकेशन हासिल कर रहे हैं, जिसमें से 18,000 भारतीय विद्यार्थी हैं.

मुंबई में रूसी दूतावास द्वारा मान्य संस्था ‘एडुरसिया’ (Edurussia) के निदेशक मनोज पतकी ने बताया कि रूसी विश्वविद्यालय भारतीयों के साथ बल्कि दुनिया भर के छात्रों की पहली पसंद बन रहे हैं. इन विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा ही इसकी प्रमुख वजह नहीं है बल्कि कुछ महीनों से कोविड-19 की वजह से पैदा हुए विषम हालात में भी तमाम छात्रों को सुरक्षा मुहैया कराना व उनके हितों की रक्षा करने‌ में अहम भूमिका निभाना भी है. कोविड-19 के प्रकोप के चलते भारतीय छात्र फिलीपीन्स, जॉर्जिया, चीन जैसे देशों में फंस गए थे, ऐसे में सुरक्षित माहौल प्रदान करने में नाकामी के चलते भारत सरकार को इन सभी देशों से भारतीय छात्रों को वापस भारत लाने में मजबूर होना‌ पड़ा था, लेकिन ऐसे चुनौतीपूर्ण हालात में रूसी विश्वविद्यालयों ने सभी विदेशी छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए थे.

अन्य देशों के मुकाबले शिक्षा खर्च कम

मनोज पतकी ने कहा कि इस वजह से इस साल और अधिक संख्या में भारतीय विद्यार्थी रूस में एडमिशन ले रहे हैं. रूसी विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस कोर्स की वार्षिक फीस 2.5 से 4 लाख रुपए के बीच है, जिसमें विश्वविद्यालय से जुड़ी फीस, हॉस्टल खर्च और मेडिकल इंश्योरेंस का खर्च शामिल होता है. रूस के विश्वविद्यालयों की फीस दुनिया भर के देशों के मुक़ाबले काफी कम है और इन्हें वार्षिक तौर पर चुकाया जाता है.  रूस के कई प्रमुख मेडिकल विश्वविद्यालयों ने सैकड़ों स्कॉलरशिप भी घोषित की है. अपनी स्थापना के 111 साल पूरे करने वाली सरातोव स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी 150 चुनिंदा छात्रों को कैशबैक के रूप में स्कॉलरशिप दे रही है.