The Khyber Pakhtunkhwa government of Pakistan condoled the death of Dilip Kumar, said - deeply saddened
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    मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन हो गया। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार (7 जुलाई) को सुबह 7 बजकर 30 मिनट में निधन हो गया। अभिनेता पिछले कुछ दिनों से उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें 30 जून को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था। अभिनेता की पत्नी सायरा बानो पूरे समय उनके साथ थीं और उन्होंने प्रशंसकों को आश्वासन दिया था कि उनकी हालत स्थिर है। दिलीप कुमार के निधन से उनके फैंस के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। बॉलीवुड हस्तियों ने भी सोशल मीडिया पर दिलीप के निधन पर शोक जताया है। 

    दिलीप कुमार का निराला अंदाज सभी के दिल में बसा हुआ है। दिलीप कुमार के जिंदगी के कई ऐसे किस्से जुड़े हैं जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। दिलीप कुमार को एक बार अंग्रेजों के खिलाफ भाषण देने भारी पड़ गया था जिसकी वजह से उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी थी। अपने जेल जाने के किस्से के बारे में दिलीप कुमार ने अपनी ऑटो बायोग्राफी द सब्सटांस एंड शेडो में बताया था. ये उन दिनों की बात है जब दिलीप कुमार को अपने पिता की मदद करने के लिए पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी पड़ी थी. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से दिलीप कुमार ने मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर क्लब में बतौर मैनेजर नौकरी करना शुरू कर दिया था। 

    ये आजादी से पहले की बात है जब दिलीप कुमार मिलिट्री कैंटिन में काम करते थे तो उनके सैंडविच सभी को बहुत पसंद आते थे। वह इसके लिए बहुत मशहूर भी हो गए थे। भारत में अंग्रेजों के राज के दौरान दिलीप कुमार ने एक दिन स्पीच दे डाली थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की लड़ाई एकदम सही है। अग्रेंजी शासक गलत हैं। बस फिर क्या था। अंग्रेजों के विरोध में भाषण देने की वजह से दिलीप कुमार को येरवाड़ा जेल भेज दिया गया था। उस समय वहां कई सत्यग्राही भी जेल में बंद थे।

    दिलीप कुमार ने अपनी किताब में बताया था कि उस समय सत्याग्राहियों को गांधीवाले कहा जाता था। दूसरे कैदियों का सपोर्ट करते हुए उन्होंने भी भूख हड़ताल कर दी थी। अगले दिन दिलीप कुमार को जेल से छोड़ दिया गया था। उन्होंने बताया था कि अगले दिन सुबह जब मेरे जान पहचान के एक मेजर आए तो मुझे जेल से छोड़ दिया गया था और तब से मैं भी गांधीवाला बन गया था।