Rajesh Shringarpure 'Daddy' world television premiere on 18 July

मुंबई में पढ़े-लिखे राजेश श्रृंगारपुरे मराठी और हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के उभरते सितारों में से एक हैं।उन्होंने फिल्मों के अलावा कई बड़े और लोकप्रिय टीवी शोज़ में भी काम किया है।

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मुंबई. ‘झेंडा’, ‘सरकार राज’ जैसी फिल्मों में अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों दिल जीतने वाले एक्टर राजेश श्रृंगारपुरे की फ़िल्म ‘डैडी’ का वर्ल्ड टेलीविज़न प्रीमियर होने वाला है। यह फिल्म 18 जुलाई को ‘एंड पिक्चर्स’ पर दिखाई जाने वाली है। इस फिल्म में राजेश श्रृंगारपुरे ने अंडरवर्ल्ड डॉन रमा नाईक का किरदार निभाया है। मुंबई में पढ़े-लिखे राजेश श्रृंगारपुरे मराठी और हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री के उभरते सितारों में से एक हैं।उन्होंने फिल्मों के अलावा कई बड़े और लोकप्रिय टीवी शोज़ में भी काम किया है। इसके अलावा वह मराठी ‘बिग बॉस’ में भी नजर आ चुके हैं।  तो आइये आज राजेश श्रृंगारपुरे से जानते हैं फ़िल्म ‘डैडी’ के बारे में कुछ खास बातें…..

राजेश श्रृंगारपुरे ‘डैडी ‘ की शूटिंग एक्सपीरिएंस बताएं ?
–मैंने ‘डैडी’ फ़िल्म में काम करते हुए काफी एन्जॉय किया। हम सभी काफ़ी मस्ती-मज़ाक के साथ फ़िल्म की शूटिंग करते थे। शूटिंग के सेट पर डायरेक्टर से लेकर एक्टर तक सभी लोग मस्ती के मूड में रहते थे। साल 2017 में रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘डैडी’ फ्लैशबैक में चलती रहती है। इसमें गैंगस्टर और पुलिस के बीच चल रही फ़ाईट के बारे में दिखाया गया है। ‘डैडी’  अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली की जिंदगी पर आधारित है।

आपने रमा नाईक का रोल निभाया है, कितना चैलेंजिंग था ?रमा नाईक के किरदार के लिए किस तरह की तैयारी करनी पड़ी ?
–‘डैडी’ में काम करते समय हमें ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई। हम लोग शूटिंग करते समय आने वाली हर मुश्किल का हल निकाल लेते थे। इस फ़िल्म की शूटिंग मुंबई में हुई थी। ख़ास बात यह कि फ़िल्म का बेस भी मुंबई ही था।  इस फ़िल्म की कहानी फ़्लैशबैक पर चलती रहती है। इसमें दिखाया गया कि किस तरह एक शहर जिसका नाम बंबई से मुंबई पड़ा। इस फ़िल्म में बंबई से मुंबई की जर्नी बताई गयी है। इस फ़िल्म के गैंगस्टर्स हैं, वो मुंबई के है। इस गैंगस्टर्स से पूरी पुलिस फ़ोर्स भी परेशान थी। मुंबई में गैंगस्टर्स की वजह से दहशत थी। उसमें से एक कैरेक्टर था रमा नाइक। यह डॉन अरुण गवली के गुरु भाई थे। अरुण गवली हर काम रमा नाईक के साथ ही करता था। अरुण गवली  और रमा नाइक का रिश्ता काफी अच्छा था।मैंने रमा नाईक के किरदार के लिए कुछ खास  तैयारी नहीं की। रमा नाइक का किरदार काफ़ी रंगीला मिजाज़ का था। वह पुराने  ज़माने के हीरो की तरह रहता था। वह हमेशा मस्ती-मज़ाक के मुड में रहने वाले शख्स था। रमा नाईक एक खुश मिज़ाज शख्स था। फ़िल्म के डायरेक्टर को रमा नाईक के बारे सब कुछ पता था। वह भी मुंबई के रहिवासी हैं। उनसे मुझे यह किरदार निभाने के लिए बहुत मदद मिली। उन्होंने मुझे बताया था की रमा नाईक का रहन-सहन कैसा था। वह किस तरह रहता था। मैं भी शूट पर उसी की तरह रहता था। रमा  नाईक की तरह लोगों के साथ मस्ती-मज़ाक करता था। मुझे इंटरनेट से भी इस किरदार के बारे में जानने के लिए मदद मिली।

आपने भगत सिंह की भूमिका अदा की थी। कहां भगत सिंह और कहां रमा नाईक। शहीद भगत सिंह और रमा नाईक का किरदार निभाते हुए आपको क्या डिफ़रेंस महसूस हुआ ?
–जब भी हम कोई लाइव कैरेक्टर करते हैं तब हमारे दिल और दिमाग पर एक बोझ रहता है कि यह किरदार सही तरीके से निभा पाएंगे या नहीं। जब हम एक काल्पनिक किरदार निभाते हैं तब लोग हममें ही उस शख्स को देखते हैं। आम किरदार को लोग बेहद जल्दी एक्सेप्ट कर लेते हैं। रमा नाईक का कैरेक्टर निभाते समय मुझे भी एक डर लग रहा था कि लोग मुझे उस किरदार में अपनाएंगे या नहीं। लेकिन, भगवान की कृपा से सभी को मेरा काम पसंद आया। फ़िल्म एक्टर्स, क्रिटिक्स, फ़िल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, दर्शक सब लोगों को मेरी एक्टिंग पसंद आई।

लॉकडाउन के समय में आपकी दिनचर्या क्या है ?
–लॉकडाउन का समय पहले थोड़ा मुश्किल भरा रहा। पहले लॉकडाउन में दुकानों में लोगों की सामान के लिए भीड़ रहती थी। लेकिन, समय के साथ काफ़ी कुछ बदल गया। समय बड़ा बलवान है। धीरे-धीरे हमने अपने  दिमाग को समझाया कि हमें कुछ दिन हमारे घर पर ही रहना है। इसके अलावा हमारी सरकार ने भी कड़ी सुरक्षा का इंतज़ाम किया। मैंने भी घर पर रहते हुए अपनी एक इच्छा पूरी की। मैंने लॉकडाउन के समय में खाना बनाना सीख लिया। आज मैं पूरा खाना बना सकता हूं। खाना बनाना एक कला है। साथ ही मैंने यह भी महसूस किया कि एक महिला दिन भर कितने काम करती है, फिर भी वह थकती नहीं। इसके अलावा मुझे  किताबें पढ़ने का भी शौक है। मैंने फ़ुरसत के पलों में कई किताबें  पढ़ीं। मैंने पूरे लॉकडाउन में घर के कामों में घर की महिलाओं की मदद की। मैं आरे कॉलोनी की वादियों में रहता हूं। यहां हर दिन नए-नए पंछियों का झुंड देखने को मिलता है। मैं कोशिश करता हूं कि मेरी सुबह इन पंछियों की मधुर आवाज़ से हो।

लॉकडाउन के चलते OTTप्लेटफॉर्म पर मूवी रिलीज़ होने पर आपकी क्या राय है ?
–मुझे लगता है कि फ़िल्म मेकर्स ने कुछ सोच-समझकर अपनी फ़िल्मों को OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ करने का फैसला लिया है। इन फ़िल्मों में उनका भी पैसा अटका हुआ है। हालांकि मुझे OTT प्लेटफॉर्म से बेहतर थियेटर में फिल्में देखना ज्यादा पसंद है। मैं खुद ऑनलाइन फ़िल्में नहीं देखता। मुझे थियेटर में फिल्में देखना ज़्यादा पसंद है। थियेटर में फ़िल्मों से जुड़ सकते हैं। लेकिन, OTT प्लेटफॉर्म के साथ ऐसा नहीं होता।

आपके आने वाले प्रोजेक्ट के बारे कुछ बताएं ?
–आने वाले दिनों  मेरी एक वेब सीरीज़ आने वाली है। वह OTT प्लेटफॉर्म के लिए ही बनी है। इस वेब सीरीज़ की आधी शूटिंग हो गयी है। लॉकडाउन के कारण शूटिंग अधूरी रह गयी है। मैं आशा करता हूं लॉकडाउन के बाद हमारी फिल्म इंडस्ट्री में पहले की तरह रौनक आ जाए। हालांकि कोरोना के चलते सावधानी बरतनी  होगी। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हमें हमारा काम करना पड़ेगा। जब इसका वैक्सीन मिल जाए तब यह सब नार्मल हो जायेगा।