दर्शकों के साथ समीक्षकों को भी पसंद आ रही है फिल्म तानाजी

मुंबई, बॉलीवुड में भारतीय इतिहास पर फिल्म बनाने का दौर फिर से लौट आया है. हर साल दर्शको को बॉलीवुड में एक ऐतिहासिक फिल्म देखने को मिल जाती है.बॉलीवुड में ऐतिहासिक फिल्म बनाने के लिए फिल्मकार संजय

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मुंबई, बॉलीवुड में भारतीय इतिहास पर फिल्म बनाने का दौर फिर से लौट आया है. हर साल दर्शको को बॉलीवुड में एक ऐतिहासिक फिल्म देखने को मिल जाती है.बॉलीवुड में ऐतिहासिक फिल्म बनाने के लिए फिल्मकार संजय लीला भंसाली और आशुतोष गोवारिकर का ही नाम सामने आता है. लेकिन अब इसी परंपरा में शामिल हुए हैं 3 फिल्म कर चुके निर्देशक ओम राऊत, जिन्होंने अजय देवगन, सैफ अली खान और काजोल के साथ ‘तानाजी- द अनसंग वॉरियर’ का निर्देशन किया है.

इस फिल्म की कहानी की बात करे तो, यह फिल्म 17वीं शताब्दी की पृष्ठभूमि पर आधारित है. ओम राउत द्वारा निर्देशित यह फिल्म भारतीय इतिहास के और छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना के सूबेदार तानाजी मालुसरे की जिंदगी पर आधारित है. निर्देशक ओम राउत ने इस फिल्म में भारतीय इतिहास के पन्नों में छिपी हुए कहानी बताने की कोशिश की है. इस फिल्म में 4 फरवरी 1670 के युद्ध के बारे में बताया गया है. उस वक्त औरंगजेब पुरे भारत पर अपना परचम को लहराने की रणनीति बना रहा है.

दूसरी तरफ दक्षिण में छत्रपति शिवाजी महाराज स्वराज्य के लिए लढ रहे है. उसी दौरान शिवाजी महाराज का परममित्र और जांबाज योद्धा सूबेदार तानाजी मालसुरे अपनी पत्नी सावित्रीबाई के साथ अपने पुत्र रायबा के विवाह की तैयारी कर रहे थे. तानाजी इस बात से अंजान है कि पुरंदर संधि में कोंडाणा किले समेत 23 किलों को मुगलों के हवाले कर देने के बाद भी औरंगजेब मराठो का खात्मा करने का मान बना चूका है. इसलिए औरंगजेब अपने खास, विश्वासपात्र और बर्बर प्यादे उदयभानु राठोड को भारी-भरकम सेना और नागिन नामक एक बड़ी तोप के साथ कोंडाणा किले की और कूच करने का आदेश देता है.

जब तानाजी छत्रपती शिवाजी महाराज जी को आमंत्रित करने पहुंचे तब उन्हें पता चला की छत्रपती शिवाजी महाराज कोंढाणा पर चढ़ाई करने वाले हैं.  शिवाजी महाराज नहीं चाहते थे कि तानाजी अपने पुत्र की शादी छोड़ कर युद्ध के लिए आये. लेकिन जब तानाजी को  पता चलता है कि स्वराज्य और शिवाजी महाराज खतरे में है, तो वह पुत्र की शादी को छोड़ कर युद्ध करने निकल पड़ता है. कहानी दिलचस्प है लेकिन देखना ये है कि तानाजी किस तर उदयभानु का खात्मा करते हैं.  

इस फिल्म में निर्देशक ओम राउत ने फिल्म में कहानी के साथ वीएफएक्स पर भी खूब मेहनत की है. इस फिल्म में  3डी के अंतर्गत युद्ध के दृश्य देखने को मिलेंगे. फिल्म में किलों और घाटी को विजुअल इफेक्ट्स से अच्छी तरह सजाया गया है. संगीत की बात करें तो, अजय-अतुल और मेहुल व्यास जैसे संगीतकारों की मौजूदगी में ‘शंकरा रे शंकरा’, ‘माय भवानी’ और ‘घमंड कर’ जैसे गाने और उनकी कोरियोग्राफी अच्छी बन पड़ी है।अजय ने अपने रोल को बखूबी निभाया और पहले पहले फ्रेम से आखरी फ्रेम तक छाए रहे. वहीं काजोल ने भी सावित्री बाई के रोल को शानदार तरीके से निभाया और फिल्म में चार चांद लगा दिए. सैफ अली खान ने उदयभान के किरदार में जान डाल दी है. सैफ अपने किरदार में पूरी तरह से डूबे हुए नजर आए.

बात करे अन्य समीक्षकों की तो
दैनिक जागरण के अनुसार, फिल्म तानाजी  एक भव्य और मनोरंजक फिल्म है जिसे देखते हुए इतिहास की गौरवशाली परंपरा का ज्ञान होता है. तानाजी फूल पैसा वसूल फिल्म है.इस फिल्म में सभी कलाकारों ने अपन बेहतरीन अभिनय किया है. निर्देशक ओम राउत की मेहनत भी फिल्म में नजर आ रही है. इस फिल्म को  दैनिक जागरण ने पांच में से साढ़े चार स्टार दिए है. 

जनसत्ता के अनुसार, तानाजी एक मनोरंजक फिल्म है. इस में मराठों के बलिदान और उनकी शौर्यगाथा दिखाई गयी है. फिल्म के संगीत को भी काफी पसंद किया जा रहा  है. फिल्म में तानाजी के बलिदान को बेहद अच्छी तरह बताया गया है. इस फिल्म को जनसत्ता  ने पांच में से साढ़े तीन स्टार दिए है.