Exclusive Interview
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एक अशिक्षित राजनेता के किरदार में नजर आएंगे एक्टर अभिषेक बच्चन, जो की जेल में रहकर अपनी दसवीं की पढ़ाई को पूरा करेंगे। उनकी ये फिल्म 'दसवीं' 7 मार्च को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी।

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    मुंबई: ‘रिफ्यूजी’ (Refugee), एलओसी कारगिल (LOC Kargil), ‘सरकार’ (Sarkar) और ‘गुरु’ (Guru) समेत कई फिल्मों का हिस्सा रह चुके अभिनेता अभिषेक बच्चन जल्द ही फिल्म ‘दसवीं’ में एक अशिक्षित हरियाणवी राजनेता का किरदार निभाते नजर आएंगे। फिल्म में उनके साथ एक्ट्रेस निम्रत कौर और यामी गौतम लीड रोल में हैं। अभिषेक ने नवभारत से की विशेष चर्चा के दौरान बताया कि अपने पिता अमिताभ बच्चन की कभी हार ना मानने की सलाह को दिल में रखकर वो अपने करियर में आगे बढ़ रहे हैं। पेश है इस बातचीत के कुछ अंश…

    एक कलाकार के रूप में दर्शकों के प्रति कितना जवाबदार महसूस करते हैं? फिल्में जब फ्लॉप होती हैं तो इसे कैसे हैंडल करते हैं?

    मेरा ऐसा मानना है कि मेरी हर नई फिल्म में किरदार में नयापन होना जरुरी है क्योंकि अगर वही काम मैं दोहराते रहूं तो लोग मुझसे बोर हो जाएंगे। करियर की शुरुआत से यही मेरी कोशिश रहती है और मेरी हालिया 2-3 फिल्मों में भी आप ये बात देख सकते हैं। कोई भी फिल्म अगर दर्शकों को पसंद आए और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन करे, तो मेरी नजर में वो फिल्म अच्छी है, लेकिन ऐसा न होने पर मैं मानता हूं कि वो फिल्म बुरी थी, क्योंकि जब दर्शक हमारी फिल्मों की टिकट खरीदते हैं तो उनके प्रति हमारी जवाबदेही होती है। दर्शकों को वही दिखाया जाए जो वो देखना चाहते हैं, क्योंकि वो उसके लिए पैसे चुका रहे हैं।  

     
     
     
     
     
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    अपने माता-पिता की तरह अगर राजनीति में आने का मौका मिला तो क्या आप इस विकल्प को चुनेंगे?

    नहीं, बिल्कुल नहीं। मुझे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं एक कलाकार के रूप में खुश हूं और इसलिए इस पर कभी विचार भी नहीं किया। 

    ‘दसवीं’ के ट्रेलर में बढ़िया ढंग से हरयाणवी बोलते नजर आए, इसके लिए किस प्रकार ट्रेनिंग की?

    हर कलाकार अपने किरदार पर खूब मेहनत करता है और मैंने भी यहां अपने रोल के लिए काफी लगन से काम किया। हरयाणवी एक्सेंट को सीखने-समझने के लिए हमने काफी वर्कशॉप किये थे। हमारे निर्देशक तुषार जलोटा ने हमारे लिए सुनीता नाम की एक डायलेक्ट कोच को नियुक्त किया था। उन्होंने फिल्म ‘दंगल’ में आमिर खान को भी ट्रेन किया था। तो उन्होंने काफी वक्त दिया हमें और हमने मिलजुलकर एक एक शब्द पर काम किया जिसका नतीजा है कि मेरे किरदार पर वो निखर कर आया है। 

    दसवीं को लेकर कितने उत्साहित हैं, फिल्म के ट्रेलर को बढ़िया रिस्पोंस मिल रहा है?

    इस फिल्म के लिए हमने करीब एक साल पहले शूटिंग शुरू की थी और अब इस बात से खुश हूं कि आखिरकार एक बार फिर दर्शकों के बीच हाजिर होने का मौका मिल रहा है। जब हमारे काम को दर्शकों से बढ़िया प्रतिसाद मिलता है तो कलाकार के रूप में हमें प्रेरणा मिलती है कि हम और भी बढ़िया काम करें। 

     
     
     
     
     
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    हमारे देश में किसी भी राजनेता के लिए बुनियादी शिक्षा का होना कितना जरूरी है?

    देखिए शिक्षा का मतलब केवल मार्क्स लाना नहीं होता, ये एक विचारधारा है. कागजी शिक्षा आपको किसी कार्य के लिए पात्र या अपात्र नहीं बना सकती। इंसान के जीवन सही मूल्यों का होना बेहद जरूरी है। मैं इतना शिक्षित तो नहीं कि इस बात का जवाब दे सकूं कि राजनेताओं के लिए न्यूनतम शैक्षणिक पात्रता होना चाहिए या नहीं क्योंकि मैं राजनीति में हूं नहीं। ये भी हो सकता है एक राजनेता जो दसवीं पास न हो, लेकिन वो 40-50 वर्ष से सक्रिय है, उसने भी दुनिया देखी है। तो उसके पास भी समाज की गहरी समझ होती है।

    फैंस का मानना है कि आप लाजवाब लेकिन अंडररेटेड एक्टर हैं, इस पर क्या कहना चाहेंगे?

    मैं इन बातों में विश्वास नहीं रखता क्योंकि अगर दर्शकों को ऐसा लगता है इसका मतलब वो मुझे चाहते हैं। दर्शकों ने मुझे 22 साल तक उनका मनोरंजन करते रहने का मौका दिया है तो मैं अंडररेटेड तो नहीं हूं। मेरा हृदय खुशी और आभार से भर जाता है जब भी सोचता हूं कि मैं 22 साल से इंडस्ट्री में सक्रिय हूं।

    अपने पिता अमिताभ बच्चन से कितनी प्रेरणा मिलती है?

    मैं जब भी घर लौटता हूं तो देखता हूं कि एक 80 साल के नौजवान हमारे घर में बैठे हैं जो आज भी काम कर रहे हैं। आज भी उनमें वही भूख है। मेरे घर में ही एक ऐसे व्यक्ति है जो इतने साल में दुनियाभर की सफलता प्राप्त करने के बावजूद रोज सुबह उठकर काम पर चले जाते हैं। मेरे लिए परिश्रम करने के मापदंड ऊंचे रहे हैं और ये काफी फायदेमंद भी है।