मुंबई: सिखों पर बयान दे कर मुसीबत में फंसी बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत (Actress Kangana Ranaut) 22 दिसंबर को मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के सामने पेश होंगी। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कंगना को मुंबई पुलिस के सामने पेश होने का आदेश दिया है। कंगना रनौत पर किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को खालिस्तानी आंदोलन के रूप में चित्रित करने वाले सोशल मीडिया (Social Media) पर दिए गए बयान को लेकर उनके खिलाफ मुंबई पुलिस को शिकायत मिली थी। जिसके बाद पिछले दिनों उनपर एफआईआर दर्ज की गई है।
एएनआई के अनुसार, सिखों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर दर्ज एफआईआर के खिलाफ अभिनेत्री कंगना रनौत की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें 22 दिसंबर को मुंबई पुलिस के सामने पेश होने को कहा है। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से कहा है कि, 25 जनवरी तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने की बात कही है।
Hearing on actor Kangana Ranaut’s plea against FIR registered against her for alleged derogatory remarks made against Sikhs, Bombay High Court today asked her to appear before Mumbai Police on Dec 22
Maharashtra Govt agreed not to take any coercive action against her till Jan 25 pic.twitter.com/eWgSkSnPiI
— ANI (@ANI) December 13, 2021
बता दें कि, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की शिकायत के बाद अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ खार पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। एक बयान में अभिनेत्री पर इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।
मुंबई पुलिस ने सोमवार को न्यायालय को सूचित किया कि कथित रूप से किसान आंदोलन को अलगाववादी समूह से जोड़कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को 25 जनवरी 2022 तक गिरफ्तार नहीं करेगी। पुलिस ने यह बयान न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ द्वारा यह कहे जाने के बाद दिया कि यह मामला रनौत की अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के बड़े सवाल से जुडा है और अदालत उन्हें कुछ अंतरिम राहत देगी।
रनौत ने इस महीने के शुरुआत में उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर मुंबई के खार पुलिस थाने में सिख संगठन की शिकायत के आधार पर नवंबर महीने में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है। अधिवक्ता रिजवान सिद्दिकी के जरिये दाखिल याचिका में रनौत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने 21 नवंबर के उनके इंस्टाग्राम पोस्ट पर आपत्ति दर्ज की है लेकिन इस मामले में उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। उल्लेखनीय है कि सिख संगठन की शिकायत के आधार पर रनौत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि रनौत ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन को खालिस्तानी आंदोलन के रूप में पेश किया।
इसके आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए (जानबूझकर समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना) के तहत मामला दर्ज किया। रनौत के वकील ने सोमवार को कहा कि धारा-295 ए के तहत मामला दर्ज करने के लिए जरूरी है कि आरोपी किसी व्यक्ति या समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने की मंशा से जानबूझकर आपत्तिजनक टिप्पणी करे। लेकिन इस मामले में अभिनेत्री की ऐसी कोई मंशा नहीं थी। पीठ ने इसके बाद रनौत के सोशल मीडिया पोस्ट का अवलोकन किया और उनके वकील के तर्क पर सहमति जताई।
अदालत ने अभियोजन पक्ष से सवाल किया, ‘‘ यहां जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण मंशा कहा है? धारा 295 कहती है कि यह एकमात्र और प्रमुख बिंदु होनी चाहिए।” इसके बाद पीठ ने पुलिस से पूछा कि क्या उसकी मंशा इस मामले में रनौत की गिरफ्तारी की है। पुलिस का पक्ष रख रहे मुख्य लोकअभियोजक अरुणा पाई ने कहा कि खार पुलिस ने एक दिसंबर को रनौत को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था लेकिन उन्होंने अब तक इसका जवाब नहीं दिया है। इस पर रनौत के वकील ने अदालत से कहा कि उनकी मुवक्किल पूछताछ के लिए पेश होने को इच्छुक हैं लेकिन उन्हें इस मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका है। अदालत ने पाई से कहा कि खार पुलिस को विशेष तौर पर बयान जारी करने की जरूरत है कि वह रनौत को गिरफ्तार करने की इच्छुक है या नहीं।
पीठ ने कहा, ‘‘ उनकी अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा का भी बड़ा सवाल है। जबतक पुलिस उनकी गिरफ्तारी को लेकर बयान नहीं देती, हमें उन्हें कुछ राहत देनी होगी।” रनौत के वकील ने बताया कि उनकी मुवक्किल 22 दिसंबर को खार पुलिस के समक्ष पेश होंगी। पाई ने जांच अधिकारी की तरफ से बयान दिया कि ‘‘पुलिस उन्हें उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं करेगी।” अदालत ने पुलिस के बयान को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 25 जनवरी 2022 तक के लिए टाल दी।