भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने फिल्मों में पशुओं के बजाय ग्राफिक्स का उपयोग करने की सलाह दी

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    नई दिल्ली: भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) ने फिल्म निर्माण के सेट को पशुओं के लिए एक भयावह और तनाव पैदा करने वाला माहौल बताते हुए फिल्म व टेलीविजन शो के निर्माताओं से शूटिंग के दौरान पशुओं के बजाय आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने को कहा है। 

    इस बीच, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने बृहस्पतिवार को एडब्ल्यूबीआई के कदम की सराहना करते हुए कहा कि उसने फिल्मों और टीवी शो के निर्माण में आधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक उपयुक्त कदम उठाया है। पशु अधिकार संस्था ने फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म एसोसिएशन और फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स को जारी एक परामर्श में मंगलवार को कहा कि पशुओं को अक्सर दूर के स्थानों पर ले जाया जाता है, जहां फिल्म की शूटिंग के दौरान शोर शराबे से उनका सामना होता है और पशुओं के प्रशिक्षक उनके साथ अक्सर ऐसे तरीके अपनाते हैं जिसमें बल प्रयोग या दंड शामिल होता है। 

    एडब्ल्यूबीआई ने कहा, ‘‘फिल्म का सेट पशुओं के लिए एक भयावह और परेशान करने वाला माहौल होता है। इससे पशुओं के बिदकने और खुद को और दूसरों को चोट पहुंचाने की संभावना बढ़ जाती है। काम नहीं करने पर ये पशु अपना अधिकांश जीवन जंजीर से बंधे होकर या कैद में, गंदे पिंजरे में प्रकृति और अपने लिए महत्वपूर्ण हर चीज से वंचित होकर बिताते हैं।” एडब्ल्यूबीआई ने कहा, ‘‘यह सलाह दी जाती है कि प्रदर्शनी और प्रशिक्षण के दौरान पशुओं को अनावश्यक दर्द और पीड़ा से बचाने के लिए फिल्मों/विज्ञापन फिल्मों में जीवित पशुओं के बजाय कंप्यूटर ग्राफिक्स, दृश्य प्रभाव और एनिमेट्रॉनिक्स जैसे प्रभावी तरीकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।” (एजेंसी)