मुंबई: बॉलीवुड एक्टर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) सोशल मीडिया बहुत एक्टिव रहते है। वे अपने बेबाक अंदाज के लिए जाना जाता है। जावेद हमेशा अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के पोस्ट की वजह से, या तो कभी अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में बनी रहते हैं। जावेद सामाजिक और राजनीतिक हर एक मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते नजर आते हैं।
ऐसे में हाल ही में अफगानिस्तान (Afghanistan) ने तालिबान (Taliban) पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद से ही देश में उथल-पुथल हालात हैं। दुनियाभर में अफगानिस्तान के हालात को लेकर चर्चा की जा रही है। काबुल पर कब्जे के बाद लगभग पूरे देश पर तालिबान का कब्जा हो चुका है। ऐसे में युद्धग्रस्त मुल्क में हालात काफी उथल-पुथल भरे हुए हैं।
सबसे ज्यादा चिंता की स्थिति महिलाओं के बीच है, क्योंकि उन्हें अपने-अपने अधिकारों के जाने का डर है। ऐसे में अब तालिबानी गठन के बाद अफगानिस्तान में कई बदलाव किए गए है। जैसे की तालिबान संस्कृति विभाग की तरफ से कहा गया कि महिलाओं को खेलकूद में हिस्सा लेने नहीं दिया जाएगा।
साथ ही तालिबान कैबिनेट में भी महिलाओं को शामिल नहीं किया गया। अब इस बॉलीवुड सिंगर जावेद अख्तर ने अपनी बात कही है। सिंगर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक ट्वीट करते हुए दुनिया भर के नेताओं और विभिन्न देशों के रवैये पर अपनी नजारगी जताई है। उन्होंने लिखा- ‘हर सभ्य व्यक्ति, हर लोकतांत्रिक सरकार, दुनिया के हर सभ्य समाज को तालिबानियों को अफगान महिलाओं के क्रूर दमन के लिए पहचानने और निंदा करने से इनकार करना चाहिए या न्याय, मानवता और विवेक जैसे शब्दों को भूल जाना चाहिए।’
Every decent person ,every democratic government every civilised society in the world should refuse to recognise and condemn Talibans for their ruthless repression of Afgan women or let’s forget the words like justice , humanity and conscience.
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 10, 2021
The spokesperson of Taliban has told the world that women are not meant to be ministers but to stay at home and bear children but the so called civilised and democratic countries of the world are willing to shake Talibani hand . What a shame .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 10, 2021
साथ ही सिंगर ने आगे कहा- तालिबान के प्रवक्ता ने दुनिया को बताया है कि महिलाएं मंत्री बनने के लिए नहीं बल्कि घर पर रहने और बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं लेकिन दुनिया के तथाकथित सभ्य और लोकतांत्रिक देश तालिबानी से हाथ मिलाने को तैयार हैं। कितनी शर्म की बात है ।’