आईपीएबी का ऐतिहासिक फैसला,अब सिंगर-गीतकार और कंपोजर को भी मिलेगी गानों की रॉयल्टी

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मुंबई: इंटेलेक्चुअल  प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड (आईपीएबी) के म्यूजिक से जुड़ा फैसला आते ही पूरी संगीत जगत में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। इस फैसले के तहत अब गानों पर केवल म्यूजिक कंपनी का एकाधिकार नहीं होगा, बल्कि इसके गायक, कंपोजर और इससे जुड़े सभी लोग इसकी रॉयल्टी के हिस्सेदार होंगे।

सिंगर्स के हिट में आया फैसला

भारत में  म्यूजिक लेबलों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च संस्था इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री और गायकों का प्रतिनिधित्व करने वाली सर्वोच्च संस्था इंडियन सिंगर्स राइट्स एसोसिएशन के बीच हुए इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि-‘साल 2012 में जावेद अख्तर की पहल पर ये अमेंडमेंट बना। मुझे उन सिंगर्स के लिए बहुत दुख हुआ जिन्होंने अपनी सुरीली आवाज से इस देश को खूबसूरत गानों की सौगात दी, लेकिन उन्हें इसका सही हक नहीं मिल पा रहा था। मैंने संबद्ध अधिकारियों को इस मामले को निपटाने के आदेश दिए। मैं खुश हूं कि सिंगर्स की हित में इतना बड़ा फैसला आया हैं।’

सभी सिंगरों को मिलेगी रॉयल्टी

पीयूष गोयल के मुताबिक इस एग्रीमेंट के तहत सारें रजिस्टर्ड सिंगर्स को अब उन गानों की रॉयलिटी मिलेगी, जिसे उन्होंने भारत मे किसी भी म्यूजिकल लेबल के लिए गाया होगा। नए और पुराने, सभी सिंगर्स को इस एग्रीमेंट का पूरा फायदा होगा। जिसमें रॉयलिटी का राशि भी बढ़ाई जाएगी। आईपीएबी के इस फैसले के बाद फिल्म जगत प्रतिक्रियाएं आनी  शुरू गई।

संगीत जगत को होगा लाभ

 इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए इंडियन सिंगर्स राइट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और  गायक अनूप जलोटा ने कहा,’मैं भारत सरकार, विशेषतौर पर श्री पीयूष गोयल को धन्यवाद देना चाहूंगा, जिनकी मदद के बगैर यह अनुबंध मूर्त रूप नहीं ले पाता। इस खास मौके पर मैं यहां मौजूद सभी लोगों को शुभकामनाएं देना चाहूंगा और उम्मीद करता हूं कि इस अनुबंध से पूरे संगीत जगत को लाभ होगा।’

हो गई ऐतिहासिक जीत

गायक शैलेंद्र जी भी इस फैसले से काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि,’हमने बहुत साल लड़ाई लड़ी और अब आखिरकार एक ऐतिहासिक जीत हुई जहां हमें रॉयलिटी मिलेगी, जिसमें म्यूजिक लेबल भी हमारे साथ हैं।’

संगीत जगत के लिए ऐतिहासिक दिन 

गानों की रॉयल्टी को लेकर इंडस्ट्री में काफी पहले से आवाजें उठती रही हैं। इस दिशा में सबसे पहला कदम लता मंगेशकर ने बढ़ाया था।  हालांकि तब उन्हें दूसरे गायकों का साथ नहीं मिला था। लंबे अरसे बाद जावेद अख्तर ने साल 2012 में म्यूजिक कंपनियों के एकाधिकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने इस समझौते पर खुशी जाहिर करते हुए इसे संगीत जगत के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया है।