मुंबई : दिग्गज (Veteran) संगीतकार (Musician) जगजीत सिंह (Jagjit Singh) आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके फैंस आज भी उन्हें दिल से याद करते हैं। फैंस उनके गानों और गजलों को सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। जगजीत सिंह का जन्म आज ही के दिन 8 फरवरी 1941 को राजस्थान (Rajasthan) के श्री गंगानगर (Shri Ganga Nagar) में हुआ था। वो ‘प्रेम गीत’, ‘अर्थ’, ‘साथ साथ’, ‘फिर आयी बरसात’ और टीवी धारावाहिक ‘मिर्जा गालिब’ जैसी फिल्मों में अपने संगीत के लिए जाने जाते थे।
1987 में जगजीत सिंह का रिकॉर्ड किया गया पहला एल्बम ‘बियॉन्ड टाइम’ भारत में डिजिटली रिलीज हुआ था। 2003 में जगजीत सिंह को भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था और फरवरी 2014 में सरकार ने उनके सम्मान में दो डाक टिकटों का एक सेट भी जारी किया था। जगजीत सिंह ने जालंधर के डीएवी कॉलेज से कला की डिग्री प्राप्त की। 1961 में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो जालंधर स्टेशन पर गायन और रचना कार्य के साथ अपने करियर की शुरुआत की। जिसके बाद उन्होंने पहले शास्त्रीय संगीत के एक दृष्टिबाधित गुरु, पंडित छगन लाल शर्मा और बाद में मैहर घराने के उस्ताद जमाल खान से संगीत सीखा।
जगजीत सिंह के पिता अमर सिंह धीमान जो एक सरकारी कर्मचारी थे वो चाहते थे कि जगजीत सिंह एक इंजीनियर बने, लेकिन संगीत के जुनून ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया और मार्च 1965 में जगजीत सिंह परिवार की जानकारी के बिना मुंबई चले आए थे। जहां उन्होंने शुरू में विज्ञापन जिंगल के गायक के रूप में काम किया और धीरे-धीरे उनके कदम प्लेबैक सिंगर की तरफ बढ़े। 1969 में जगजीत सिंह ने सिंगर चित्रा सिंह से शादी की। चित्रा सिंह ने एक बेटे को जन्म दिया। जिसका नाम उन्होंने विवेक सिंह रखा, लेकिन 1990 में 20 साल की उम्र में विवेक सिंह का एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। बेटे को खोने के बाद जगजीत और चित्रा सिंह टूट गए थे।
जगजीत सिंह ने तो बेटे के निधन के बाद पूरे एक साल तक संगीत दुनिया से दुरी बना ली थी। हालांकि, फिर बाद में उन्होंने धीरे-धीरे संगीत दुनिया में अपनी वापसी की, लेकिन चित्रा सिंह ने यह ऐलान किया कि अब वो ना ही गाना गाएंगी और ना ही रिकॉर्ड करेंगी। 1998 और 2007 में जगजीत सिंह ने हार्ट की बाईपास सर्जरी कराया था। इसके साथ ही वो मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी कई बीमारियों से पीड़ित थे। उन्होंने 2011 में यूके, सिंगापुर, मॉरीशस का दौरा किया था और मुंबई में गुलाम अली के साथ प्रदर्शन करने वाले थे, लेकिन 23 सितंबर 2011 को उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ और वो दो सप्ताह से अधिक समय तक कोमा में रहे और 10 अक्टूबर को मुंबई में लीलावती अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई थी। अगले दिन मुंबई में मरीन लाइन्स के पास चंदनवाड़ी श्मशान में उनका अंतिम संस्कार किया गया था।