जब विनोद खन्ना ने मांगी एक्टिंग की इजाजत, तो पिता ने सिर पर तान दी बंदूक..!

Loading

मुंबई: ‘बॉलीवुड के सेक्सी सन्यासी’ नाम से मशहूर विनोद खन्ना की आज 6वीं डेथ एनिवर्सरी है। पाकिस्तान के पेशावर में जन्में विनोद खन्ना का 27 अप्रैल, 2017 को कैंसर के चलते निधन हो गया था। नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आकर विनोद खन्ना ने बॉलीवुड में काफी बड़ा मुकाम हासिल किया। एक समय उन्हें अमिताभ बच्चन का सबसे तगड़ा कॉम्पिटिटर माना जाता था। लेकिन अचानक उन्होंने सन्यास लेकर बॉलीवुड को अलविदा कह दिया। वरना आज उनके करियर का रूप कुछ दूसरा ही होता। खैर, आइये आपको बताते हैं कि एक पंजाबी बिजनेस परिवार से ताल्लुक रखने वाले विनोद खन्ना की फिल्मों में एंट्री कैसे हुई..?

 
 
 
 
 
View this post on Instagram
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by 𝐕𝐢𝐧𝐨𝐝 𝐊𝐡𝐚𝐧𝐧𝐚 𝐕𝐊💙 (@vinodkhanna2506)

सुनील दत्त ने ऑफर किया भाई का रोल

कॉलेज की पढ़ाई के दौरान विनोद खन्ना ने फिल्म मुगल-ए-आजम देखी और यहीं से उनके अंदर अभिनेता बनने की इच्छा जगी। पिता एक कामयाब बिजनेसमैन थे। वो चाहते थे कि विनोद खन्ना कारोबार में उनका हाथ बटाया करें, लेकिन विनोद पर तो एक्टिंग का भूत सवार था। इसी दौरान बिजनेस की एक पार्टी में उनकी मुलाकात अभिनेता सुनील दत्त से हुई, जो उन दिनों ‘मन का मीत’ बनाने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने विनोद खन्ना को इस फिल्म में अपने भाई का रोल ऑफर किया और उन्होंने हामी भी भर दी।

पिता की शर्त ने बाद हुई बॉलीवुड में शुरुआत

विनोद के पिता के सी खन्ना को जैसे ही यह बात पता चली, वो काफी नाराज हो गए और उन्होंने विनोद के सिर पर बंदूक तान दी। आखिरकार मां के बीच बचाव के बाद उन्हें इस शर्त पर एक्टिंग की इजाजत मिली कि,’अगर दो साल में उन्होंने बॉलीवुड में अपनी जगह नहीं बनाई, तो उन्हें फैमिली बिजनेस संभालना पड़ेगा।’ विनोद खन्ना ने पिता की ये शर्त मान ली और इस तरह बॉलीवुड में उनकी शुरुआत हुई।

ठुकराने लगे विलेन का रोल

‘मन का मीत’ में विनोद खन्ना का निगेटिव रोल था, इसलिए शुरूआती दिनों में उन्हें विलेन का ही रोल ऑफर होने लगा। फिल्म ‘मेरा गांव मेरा देश’ की सफलता ने उन्हें बतौर खलनायक इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया। लेकिन बेटे को परदे पर हीरो से पिटते देख उनकी मां को काफी बुरा लगता था। इसलिए उन्होंने धीरे-धीरे विलेन का ऑफर ठुकराना शुरू कर दिया।

 
 
 
 
 
View this post on Instagram
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by 𝐕𝐢𝐧𝐨𝐝 𝐊𝐡𝐚𝐧𝐧𝐚 𝐕𝐊💙 (@vinodkhanna2506)

खलनायक से बने नायक

साल 1971 में उन्हें फिल्म ‘हम तुम और वो’ में हीरो का रोल ऑफर हुआ और इस तरह वो खलनायक से नायक बन गए। 1973 में आई गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने’ काफी कामयाब रही। इसके बाद आई ‘अचानक’ ने उन्हें बतौर हीरो स्थापित कर दिया। कुर्बानी, हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर जैसी फिल्मों के जरिए विनोद खन्ना का सितारा बुलंदियों पर जा पहुंचा।