(Photo Credits: Twitter)
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अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' की रिलीज को हाल ही में 9 साल पूरे हुए. बांद्रा पूर्व स्थित शीला रहेजा स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड रिसर्च (एस. आर. बी. एस.) ने इस समकालीन सिनेमा का जोरों शोरों से जश्न मनाया.

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    मुंबई: अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’  की रिलीज को हाल ही में 9 साल पूरे हुए. बांद्रा पूर्व स्थित शीला रहेजा स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड रिसर्च (एस. आर. बी. एस.) ने इस समकालीन सिनेमा का जोरों शोरों से जश्न मनाया. कॉलेज के मीडिया छात्रों ने शिक्षक के साथ मिलकर एक फिल्म और टेलीविज़न क्लब का गठन किया जहां उन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर’ को लेकर किए हुए अपने गहन अध्ययन पर चर्चा की.

    अनुराग कश्यप की इस फिल्म में मनोज बाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी, तिग्मांशु धूलिया, ऋचा चड्ढा और हुमा कुरैशी मुख्य भूमिका में थी. फिल्म को दो भागों में रिलीज किया गया था.  एडल्ट सर्टिफिकेशन से प्रमाणित ये फिल्म कई तरह से विवादों में रही. अपने झकझोर देने वाले सीन्स, दमदार डायलॉग्स और मस्तीभरे संगीत के कारण ये फिल्म हिंदी सिनेमा की सबसे यादगार कहानियों में से एक बनी. फिल्म की इन्हीं खूबियों से सीख लेने तथा कलात्मक दृष्टिकोण से इसे समझने के उद्देश्य से छात्रों ने अपने शिक्षकों के साथ फिल्म पर चर्चा की.

    इस चर्चा में चर्चा के दौरान डॉ. विजय वाघ, संस्था निदेशक, डॉ. राजेश चौकसे, प्रो. दिनेश सोनकुल, प्रो. प्रदीप सिंह, और प्रो. महेश सावले, बी.ए.एम.एम.सी. पाठ्यक्रम समन्वयक उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रभारी प्रो. दुर्गेश गुप्ता थे मौजूद थे.

    फिल्म ने एक कल्ट क्लासिक होने का दर्जा हासिल कर लिया है.  इस अप्रतिम रचना को देखना आज भी एक रोमांचक अनुभव है, और इसका विश्लेषण करना निश्चित रूप से ज्ञानवर्धक है. 14 अगस्त को एसआरबीएस फिल्म एंड टेलीविजन क्लब ने अपनी शुरवात सिनेमा के इस रत्न के शिल्प की सराहना से की. छात्र स्वयंसेवकों ने एक प्रभारी शिक्षक के साथ समन्वय में उल्लिखित फिल्म को कई अलग-अलग दृष्टिकोणों से ‘पढ़ा’ और उनके निष्कर्षों पर चर्चा की.

    इस गतिविधि का उद्देश्य छात्रों में फिल्म अध्ययन के विषय में रुचि पैदा करना था. इस आयोजन का उद्देश्य शिक्षार्थियों को फिल्म देखना सिखाना, सिनेमाई तंत्र के विश्लेषण का प्रदर्शन करना और शिक्षार्थियों को फिल्मों पर सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक वातावरण के प्रभाव के बारे में जागरूक करना था. यह आयोजन बहुत ही सफल रहा.