FIR registered against Javed Akhtar in Mumbai for his Taliban statement on RSS
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    मुंबई: बॉलीवुड एक्टर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) सोशल मीडिया बहुत एक्टिव रहते है। वे अपने बेबाक अंदाज के लिए जाना जाता है। जावेद हमेशा अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के पोस्ट की वजह से, या तो कभी अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में बनी रहते हैं। जावेद सामाजिक और राजनीतिक हर एक मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखते नजर आते हैं। 

    ऐसे में अब जावेद अख्तर ने तालिबान की तुलना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की है। जावेद ने कहा है की RSS के सपोर्ट करने वालों की मानसिकता भी ताबिलानी जैसी है। साथ ही एक्टर ने ये भी कहा कि आरएसएस को सपोर्ट करने वालों को आत्म परीक्षण करना चाहिए। जावेद ने हाल ही एक अंग्रेजी न्यूज चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि- ‘आरएसएस, विहिप और बजरंग दल (Bajrang Dal) जैसे संगठन तालिबान की तरह ही हैं। इनके रास्ते में भारत का संविधान रुकावट बन रहा है। इनको थोड़ा सा मौका मिले तो ये सीमा लांघने में संकोच नहीं करेंगे। 

    एनडीटीवी से बात करते हुए जावेद अख्तर ने कहा कि- ‘जो लोग आरएसएस, वीएचपी, बजरंग दल जैसे संगठनों को सपोर्ट करते है उन्हें आत्मपरीक्षण करने की ज़रूरत है। ऐसे लोग तालिबान मध्ययुगीन मानसिकता के होते है। इस में कोई सक नहीं। वे बर्बर हैं, उपद्रवी हैं। आप जिन्हें सपोर्ट कर रहे हो उनमे और तालिबानी में कोई फर्क नहीं। इन्फैक्ट ऐसा करके आप तालिबानी मानसिकता को ही मजबूत बना रहे हो। आप भी उन्हीं के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। उनकी और इनकी मानसिकता एक ही है। 

    जावेद अख्तर ने आगे कहा- ‘चाहे मुस्लिम राइटविंग हो, क्रिश्चियन राइट विंग हो या फिर हिंदू राइट विंग, ये दुनिया भर में एक जैसी ही मानसिकता है। तालिबानी इस्लामिक राज्य बनाने जा रहे हैं और ये लोग हिंदू राष्ट्र बनाने की तैयारी कर रहे है। साथ ही ये लोग चाहते कि हैं कोई भी लड़का और लड़की पार्क में साथ ना गुमे। फिलहाल फर्क सिर्फ इतना है कि ये लोग इतने शक्तिशाली नहीं। लेकिन इनका मक़सद तालिबानियों जैसा है। 

    वहीं, जावेद अख्तर के इस बयान के बाद बीजेपी ने उन पर पलटवार किया है। बीजेपी सांसद मनोज कोटक(Manoj kotak) ने ट्वीट कर जावेद अख्तर पर निशाना साधा और कहा- ‘एक आतंकवादी संगठन तालिबान की तुलना एक सामाजिक संगठन आरएसएस से करना गलत है। दुनिया भर में कट्टरपंथी इस्लामवाद को बुलावा देने का दर्द से स्पष्ट है जावेद अख्तर का व्यवहार। श्रीमान पटकथा लेखक, यह 70 का दशक नहीं है, यह 2021 है जहां न्यू इंडिया कुदाल को कुदाल कहता है।