वीर योद्धा तानाजी मालुसरे, जाने उनकी शौर्यगाथा

मुंबई, बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन और सैफ अली खान स्टारर फिल्म 'तानाजी द अनसंग वॉरियर' का दूसरा ट्रेलर रिलीज हो गया है. यह दूसरा ट्रेलर भी पहले ट्रेलर की तरह काफी दमदार है. इस फिल्म में अजय देवगन

Loading

मुंबई, बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन और सैफ अली खान स्टारर फिल्म  ‘तानाजी द अनसंग वॉरियर’ का दूसरा ट्रेलर रिलीज हो गया है. यह दूसरा ट्रेलर भी पहले ट्रेलर की तरह काफी दमदार है. इस फिल्म में अजय देवगन सूबेदार तानाजी मालुसरे की भूमिका निभा रहे हैं, तो सैफ उदयभान राठौड़ का किरदार निभा रहे हैं, वही इस फिल्म में अजय देवगन की पत्नी काजोल भी हैं. काजोल इस फिल्म में सावित्रीबाई मालसुरे का किरदार निभा रही हैं. यह फिल्म 10 जनवरी 2020 को रिलीज होगी।  
 
आपको बता दे कि, ‘तानाजी द अनसंग वॉरियर’ एक पीरियड ड्रामा फिल्म है। यह फिल्म 17वीं शताब्दी की पृष्ठभूमि पर आधारित है. ओम राउत द्वारा निर्देशित यह फिल्म भारतीय इतिहास के और छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना के सूबेदार तानाजी मालुसरे की जिंदगी पर आधारित है। निर्देशक ओम राउत ने इस फिल्म में भारतीय इतिहास के पन्नों में छिपी हुए कहानी बताने की कोशिश की है.

बात करे इस फिल्म के हीरो यानी तानाजी मालसुरे के जिंदगी के बारे में तो वे एक वीर मराठा योद्धा थे. तानाजी मराठा साम्रज्य संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में सैन्य नेता थे. तानाजी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ कई युद्ध लड़े थे. तानाजी को 4 फरवरी 1670 में हुए सिन्हागढ़ युद्ध में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है। इस सर्जिकल स्ट्राइक ने मुगल साम्राज्य को हिलाकर रख दिया।  तानाजी मालुसरे की स्मृति में कोंढाणा दुर्ग का नाम बदलकर सिंहगढ़ कर दिया गया है. 
 
तानाजीराव का जन्म 17 वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के कोंकण के महाड के पास ‘उमरथे’ में हुआ था। वे बचपन से छत्रपति शिवाजी के साथी थे। तानाजीराव, शिवाजी के साथ हर लड़ाई में शामिल होते थे। साल 1670 में  सिंहगढ़ की लड़ाई में तानाजी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. उस दिन सुभेदार तानाजी के पुत्र रायबा के विवाह की तैयारी हो रही थी. तानाजी छत्रपती शिवाजी महाराज जी को आमंत्रित करने पहुंचे तब उन्हें पता चला की छत्रपती शिवाजी महाराज कोंढाणा पर चढ़ाई करने वाले हैं. तब तानाजी ने कहा, ‘राजे मैं कोंढाणा पर आक्रमण करुंगा’. अपने पुत्र रायबा के विवाह से ज्यादा कोंढाणा किला जीतना जरुरी समझा। छत्रपती शिवाजी महाराज जी की सेना मे कई सरदार थे परंतु उन्होंने तानाजी मालुसरे जी को कोढाना आक्ररमन के लिए चुना। 
 
तानाजी ने मुगलों के कब्जे से कोंढाणा  को स्वतंत्र कराया। इस युद्ध के समय जब उनकी ढाल टूट गई तो तानाजी मालुसरे जी ने अपने सिर के फेटे को अपने हाथ पर बांधा और तलवार के वार अपने हाथों पर लिये एक हाथ से वे वायु की तेज गती से तलवार चलाते रहे. कोंढाणा कीले के कीलेदार उदयभान राठौड़ से तानाजी मालुसरे जी ने युद्ध किया और उदयभान राठौड़ का वध किया.मराठों ने कोंढाणा तो जीत लिया, लेकिन इस युद्ध में तानाजी मारे गए थे. छत्रपति शिवाजी ने जब यह समाचार मिला तो उन्होंने कहा,  "गढ़ तो जीता, लेकिन मेरा "सिंह" नहीं रहा (मराठी – गढ़ आला पण सिंह गेला).