कृषी कानुन के आड में अराजकता फैलाने का प्रयास

  • सांसद अशोक नेते ने पत्रपरिषद में लगाया आरोप

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गडचिरोली. कृषी विधेयक को लेकर दिल्ली में आंदोलन करनेवाले किसान संगठनाओं का निराकरण करने की तैयारी मोदी सरकार ने दिखाई है. ऐसे में संगठनाओं के नेता अपनी मनमानी छोडने को तैयार नहीं है. इन संगठनाओं के नेताओं को केवल सरकार को अडचणों में लाना है. आंदोलन के आड में कुछ शक्ति अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहे है, ऐसा आरोप सांसद अशोक नेते ने पत्रपरिषद के माध्यम से लगाया है. 

स्थानीय विश्रामगृह में सोमवार, 14 दिसंबर को भाजपा की ओर से आयोजित पत्रपरिषद में वे बोल रहे थे. इस समय भाजपा के जिलाध्यक्ष किसन नागदेवे, ब्रम्हपूरी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अतुल देशकर, भाजपा जिला उपाध्यक्ष भारत खटी, जिला महामंत्री गोविंद सारडा, अनिल पोहणकर, नप उपाध्यक्ष अनिल कुनघाडकर, अविनाश महाजन, मुक्तेश्वर काटवे, भाजपा संपर्क प्रमुख सदानंद कुथे आदि समेत भाजपा पदाधिकारी उपस्थित थे. 

पत्रपरिषद में आगे मार्गदर्शन करते हुए सांसद अशोक नेते ने कहां कि, पंजाब राज्य में आंदोलन करनेवाले किसानों से केंद्र सरकार चर्चा कर रही है, ऐसे में इन संगठनों ने दिल्ली में आंदोलन शुरू किया. यहां भी केंद्र सरकार ने अनेक बाद चर्चा के प्रस्ताव भेजे. चर्चा के माध्यम से संगठना के मन में होनेवाले संदेह को दूर हो इसके लिए कानुन में आवश्यक वह बदलाव करने की तैयारी दर्शाते हुए वैसे प्रस्ताव भी संगठना के नेताओं की ओर भेजे है. मात्र आंदोलनकर्ता संगठनाओं के नेते अपनी मनमानी छोडने को तैयार नहीं है. इन नेताओं को कृषि कानुन के माध्यम से केवल राजनिति करना है, ऐसी बात सांसद नेते ने इस समय कहीं. समर्थन मुल्य किंमत (एमएसपी) से केंद्र सरकार की ओर से उपज की खरीदी आगे भी शुरू रहनेवाली है,  ऐसी बात प्रधानमंत्री मोदी ने अनेक बार स्पष्ट की है. वहीं लेखी आश्वासन देने की तैयारी भी केंद्र सरकार ने चर्चा के दौरान दिया. वर्तमान बाजार समितियों की व्यवस्था कायम रहेगी, निजीकरण खेती संदर्भ के गैरसमझ भी केंद्र सरकार ने दूर करने के बावजूद कृषि कानुन रद्द करे इस मांग पर संगठनाओं के नेते अडे है. इन नेताओं को कानुन को विरोध कर राजनितिक उद्देश की पूर्ति करना है, ऐसा आरोप सांसद अशोक नेते ने इस समय किया. 

तिनों कृषि विषयक कानुन के कारण किसानों पर के अन्याय दूर होनेवाला है. उक्त कानुन उत्पन्न बढानेवाला तथा लाभदायक साबित होनेवाला है. मात्र विरोधक, असामाजिक तत्वों ने किसान संगठना के नेताओं को चिडाकर आंदोलन को आक्रमक बनाने का प्रयास कर रहे है. किसानों के प्रश्नों को छोड भीमा-कोरेगाव मामला, शाहीन बाग हिंसाचार के आरोपियों को छोडने की मांग हो रही है. इस माध्यम से विरोधकों का केंद्र सरकार अस्थिर करने का षडयंत्र होने की बात स्पष्ट हो रही है. जिससे आम किसान इस कानुन के विरोध में शुरू होनेवाले अपप्रचार के झांसे में नहीं आऐंगे, ऐसा विश्वास व्यक्त करते हुए किसानों को लाभकारी होनेवाले कानुन को विरोध करना निंदनीय होकर इसका सांसद अशोक नेते ने निषेध किया. 

कृषf विधेयक लाभदायी-देशकर

केंद्र सरकार ने परिपूर्ण अध्ययन करने के बाद ही उक्त कृषि विषयक 3 विधेयक संसद में पारीत किए. संसद में विधेयक पारीत होते समय विरोधकों ने केंद्र सरकार से चर्चा नहीं की. विधेयक पारीत होने के पश्चात मात्र विरोधकों द्वारा इन विधेयकों को लेकर विरोध करने से विरोधक दोगले भूमिका लेने की टिप्पणी पूर्व विधायक अतुल देशकर ने की है. इन कृषि विधेयकों के कारण किसानों को बाजार समितियों के साथ ही अपनी उपज बेचने का और एक विकल्प उपलब्ध रहनेवाला है. जिससे उक्त कृषि विधेयक किसानों के लिए लाभदायी होने की बात इस समय देशकर ने कहीं.