कार्तिक मास में नदी में स्नान व पुजाअर्चना

  • कोरोना का प्रादुर्भाव नदीस्थलों पर छाया सन्नाटा

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सिरोंचा. हिंदू सम्प्रदाय में कार्तिक मास को अत्याधिक महत्वपूर्ण माना गया है. इस मास मे नदी स्नान कर शिव जी की आराधना की जाती है. साथ ही नदी स्नान कर माँ गंगा की पूजा कर द्वीप छोडे जाते है. इसके पीछे अनेक तरह के तर्क दिये जाते है. विशेषकर हिंदू सम्प्रदाय का अनुसरण करने वाले इस मास को अधिक महत्व देते है. इस दौरान अनेक तरह के धार्मिक आयोजन किये जाते है। जिसमें तुलसी विवाह, कृष्ण विवाह, वन भोज, औषधी वृक्ष आमले की वृक्ष की पूजा, सत्यनारायन व्रत कथा पूजा के रुप मे अनेक धीर्मिक आयोजन संपन्न किये जाते है.

देश मे कार्तिक मास के दौरान समीपस्थ नदियों पर श्रद्दालुओं की भारी भीड़ देखी जाती रही है. श्रद्दालू नदी स्नान कर अपने अराध्य देव भोलेनाथ की पूजा अर्चना के बाद अपनी मनोकामनाओं को पुर्ण करने भोलेनाथ से कामना करते है. नदी स्नान के उपरांत श्रद्धालू परिवार समेत द्वीपों को प्रज्वलित कर नदी मे छोडा करते है. इस मास मे शिव मंदिरों मे भारी भीड़ देखी जाती है. वही राज्य मे अब धार्मिक केन्द्रों के दरवाजे कुछ शर्तों के आधार पर खोले गए है. बावजूद इसके महामारी के संक्रमण के ड़र ने भारी असर ड़ाला है. मंदिरों एवं नदियों पर सन्नाटा छाया हुआ है. इस दौरान की जाने वाले सामुहिक तुलसी विवाह, कृष्ण विवाह, वन भोज के आयोजन नदारद है. जो श्रद्दालू जा भी रहे है तो वे सामुहिक रुप मे ना जाकर अपने परिवार के साथ ही नदी स्नान कर भोले जी का आराधना कर रिवाज को पुरा कर रहे है.

वहीं तहसील के सीमा से सटा तेलंगाना का प्रसिद्ध  धार्मिक केंद्र दक्षिण काशी कालेश्वर मे भी महामारी का असर दिखने लगा है. जहां कार्तिक मास मे श्रद्दालओं की भारी भीड़ इकट्टी होती थी. मगर अब वहां पर भी सन्नाटा नजर आ रहा है. कार्तिक मास के दौरान कालेश्वर के त्रिवेणी संगम पर गंगा आरती अत्यंत आकर्षक एवं पूरी निष्टा के साथ की जाती थी. इस दौरान भारी भीड़ दिखाई पड़ती थी. मगर इस वर्ष इस पर भी महामारी ने अपनी असर दिखाई है. तहसील के अलावा छत्तीसगढ राज्य एवं तेलंगाना के अन्य स्थानो से पहुंचने वाले श्रद्दालू नही पहुंच रहे है. पहुंच भी रहे है तो हर वर्ष के अपेक्षा काफी कम संख्या मे पहुंच रहे है.

तहसील मुख्यालय सिरोंचा के समीप बहने वाली प्राणहिता नदी पर भी कार्तिक मास मे श्रद्दालओं की भारी भीड़ पहुंचती थी. जो नदी स्नान कर द्वीपों प्रज्वलित की रस्म को अदा कर तट पर स्थित शताब्दियों पुर्व की धार्मिक केंद्र विट्टालेश्वर मंदिर मे पहुंच कर शिव जी आराधना करते थे. मगर इस वर्ष महामारी के चलते नदी तट पर सन्नाटा छाया हुआ है. महामारी के संक्रमण के खतरे ने लोगों के धार्मिक आस्था को भी प्रभावित किया है.