- मगर अंगरेजो से दान में मिली जमीन पाने वंशज कर रहे संघर्ष
- सरकार व प्रशासन की निरंतर बेध्यानी
सिरोंचा. ब्रिटीश काल के दौरान 9 नवंबर 1924 में दक्षिण चांदा डिवीजन के डिवीजनल डेप्युटी कंजर्वेटर एच. एस. जॉर्ज व सामा वेलादी नामक आदिवासी व्यक्ति सिरोंचा तहसील के बेजुरपल्ली जंगल में गये थे. इस दौरान अचानक बाघ ने अंगरेज अफसर पर पर हमला किया. और उसे गर्दन से पकड़कर घसिटते हुए जंगल ले जा रहा था. अधिकारी के पास बंदुक होने के बावजूद भी वह कुछ नहीं कर पार रहा था. जिससे वह चिखने चिल्लाने लगा.
इसी बीच सिरोंचा तहसील निवासी सामा वेलादी अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए बाघ के जबड़े से अंगरेज अफर की जान बचाई थी. जिससे खुश होकर अंगरेज सरकार ने सामा वेलादी को करीब 45 एकड़ जमीन दान में दी थी. लेकिन वर्तमान स्थिति में यह जमीन वनविभाग के कब्जे में होकर वनविभाग सामा वेलादी के वंशज को जमीन देने को तैयार नहीं है. जिसके कारण अंगरेजों से दान में मिली जमीन को पाने के लिये सामा वेलादी के वंशज राज्य सरकार व प्रशासन से संघर्ष करते दिखाई दे रहे है.
बता दे कि, सामा वेलादी को अंगरेज सरकार ने मुडेवाही वनक्षेत्र में 15 एकड़, जार्जपेठा वनक्षेत्र में 10 एकड़ और कक्ष क्रमांक 21 व 31 में प्राणहिता नदी तट पर 20 एकड़ ऐस कुल 45 एकड़ जमीन दी है. सामा वेलादी को मिली जमीन देने की मांग को लेकर सामा वेलादी के वंशज वनविभाग, जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग कर रहे है. यह मांग पिछले तीन पीढीओ से की जा रही है. लेकिन जमीन नहीं मिली है.
ब्रिटन की राणी ने सामा को अलबर्ट मेडल से नवाजा
बता दे कि, अंगरेज अफसर को बाघ के हमले से बचाकर उसपर उपचार करने के लिये गांव पहुंचने में सामा को करीब 7 दिन की कालावधि लगी थी. अधिकारी को घर में लाकर औषध उपचार कर उसकी जान बचाई. सामा वेलादी के इस बहादुरी की जानकारी जब ब्रिटन में पहुंची तो, ब्रिटन की राशि में नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में सामा वेलादी को अलबर्ट मेडल नामक पुरस्कार देकर सम्मानित किया था.
उस समय सामा वेलादी को दिए गए सम्मानपत्रक, पदक और चांदी का कड़ा आज भी सामा वेलादी के वंशज के पास है. जिससे अंगरेजों से मिले सम्मानपत्र, पदक और चांदी का कड़ा सामा वेलादी के बहादुरी की गवाह दे रहे है.
ब्रिटन मीडीया ने सामा को कहा द इंडियन हिरो
सामा वेलादी की बहादुरी चर्चा जब ब्रिटन में पहुंची तो वहां की मीडीया ने सामा वेलादी के कार्य की सराहना करते हुए उसके बहादुरी संदर्भ में खबर प्रकाशित की थी. ब्रिटन के द स्टे्रट्स टाईम्स ने 15 जून 1925 अपने अखबार के माध्यम से सामा वेलादी को द इंडियन हिरो कहते हुए उसकी खबर प्रकाशित की थी.
वहीं स्टेनली जेपसन किताब में बिग गेम एन्काऊंटर और ब्रिगेडियर-जनरल आर.जी. बर्टन ने अपने ग्रंथ में ए बुक ऑफ मैन-इटर्स में उल्लेख किया था. वहीं वायर एजंसी ने मई, जून 1925 में करीब ऑस्ट्रेलिया, स्कटलांड और ब्रिटन में सामा वेलादी के बहादुरी संदर्भ में खबरे प्रकाशित की थी.
तिसरी पिढ़ी जमीन पाने कर रही संघर्ष
अपने दादा की बहादुरी से खुश होकर अंग्रेज सरकार द्वारा दान में दी गई 40 एकड़ जमीन पाने के लिये सामा वेलादी की तिसरी काफी वर्षो से संघर्ष कर रही है. अंगरेजों द्वारा दिया गया जमीन संदर्भ में प्रमाणपत्र दिखाकर वनविभाग, जिला प्रशासन और राज्य सरकार को दिखाकर उनकी मालिकाना जमीन उन्हें वापिस करने की मांग की जा रही है. मात्र वनविभाग, जिला प्रशासन व सरकार द्वारा जमीन वापिस करने संदर्भ मेंं बेध्यानी की जा रही है. जिसके कारण सामा वेलादी को अपनी जमीन पाने के लिये अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है.