गड़चिरोली. सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार जिन्होंने चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किए थे, लेकिन जाति वैधता प्रमाणपत्र जमा नहीं किए, ऐसे उम्मिदवारों को जाति वैधता जांच समिति ने नोटिस भेजा है. इससे उम्मीदवारों में खलबली मच गई है.
पेश नहीं किए सबूत
जाति वैधता जांच समिति द्वारा दिए गए जानकारी के तहत अक्टूबर 2019 को दिए गए निर्देश के अनुसार प्रयोजनार्थ कार्यरत तत्कालीन जिला जात प्रमाणपत्र जांच समिति ने 30 जुलाई 2011 से 31 अगस्त 2012 में जारी किए गए जाति वैधता प्रमाणपत्र की पुन जांच करने के लिए जिन प्रत्याशी, आवेदनकर्ताओं ने अब तक कोई प्रतिसाद नहीं दिया, उन्हें त्रुटी के पूर्ति के लिए 1 अक्टूबर 2020 तक अंतिम मौका दिया गया है. 30 जुलाई 2011 से 31 अगस्त 2012 की अवधि जारी किए गए जाति वैधता प्रमाणपत्र पुन: जांच के लिए चंद्रपुर समिति की ओर से प्राप्त हुए 421 प्रकरण में 43 मामलों के उम्मीदवारों को निरंतर नोटिस व पत्र भेजने के बावजूद उन्होंने समिति कार्यालय के समक्ष उपस्थित होकर अथवा प्रतिनिधि भेजकर त्रुटियां दूर नहीं की और न ही ठोस सबूत व दस्तावेज दाखिल करने के लिए कोई प्रतिसाद नहीं दिया.
1 तक अंतिम मौका
84 मामलों में आवेदनकर्ता उपस्थित हुए. लेकिन त्रुटियों की पूर्ति नहीं की या ठोस सबूत व दस्तावेज पेश नहीं किए ऐसे उम्मीदवारों को अंतिम मौका 1 अक्टूबर तक दिया गया है. जो उम्मीदवार उपस्थित रहकर त्रुटी की पूर्ति नहीं करेंगे, ऐसे मामलों में समिति उपलब्ध दस्तावेज व सबूतों का विचार कर अपना निर्णय लेगी. जाति प्रमाणपत्र व पूर्व में दिए गए जाति वैधता प्रमाणपत्र रद्द कर मामला नस्तीबद्ध किया जाएगा. साथ ही ऐसे मामलों के जाति प्रमाणपत्र व व पूर्व दिए गए जात वैधता प्रमाणपत्र भी रद्द ठहराया जाएगा. वहीं किसी भी सरकारी कार्य के लिए ग्राह्य नहीं माना जाएगा. यह जानकारी समिति के उपायुक्त राजेश पांडे ने दी.