एटापल्ली. तहसील के पुरसलगोंदी में स्वाधीनता के 7 दशक बाद भी अब तक विकास का सूरज नहीं निकला है. पिछड़ेपन की गहरी काली छाया में यहां के निवासी जीवनयापन करने पर मजबूर हैं. पूरसलगोंदी परिसर में विभिन्न सुविधाओं का अभाव है. सुविधाओं के अभाव के कारण यह परिसर विकास से कोसों दूर हैं. बता दें कि इस गांव में पहुंचने के लिए एक नाला पड़ता है.
लेकिन इस नाले पर अब तक पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है. जिस कारण यहां के निवासी उफनते नाले से जानलेवा सफर करने पर मजबूर हैं. प्रति वर्ष बरसात के दिनों में यह समस्या निर्माण होती है. इस वर्ष भी यहां के आदिवासियों को नाले से सफर करना पड़ रहा है. किंतु इस परिसर की समस्या व उक्त नाले पर पुलिया की समस्याओं को लेकर न ही प्रशासन आगे आ रहा है, न ही जनप्रतिनिधियों का इस ओर ध्यान है. जिससे इस परिसर में विकास की रोशनी कब पहुंचेगी, ऐसा सवाल परिसर के नागरिकों द्वारा किया जा रहा है.
इसी परिसर में है सुरजागड़
तहसील के पूरसलगोंदी ग्राम पंचायत अंतर्गत ही हेडरी परिसर आता है. हेडरी समिपस्य ही लोहअयस्क के लिए सुरजागड़ की पहाड़ी है. इस पहाड़ी पर सालाना जनवरी माह में ठाकुरदेव मेले का आयोजन किया जाता है. जहां दुरदराज से अनेक आदिवासी बांधव एकजुट होते है. इस मेले में राजनितिक नेता भी शिरकत करते है. किंतू इस परिसर के विकास की ओर इनका ध्यान अबतक नहीं गया है. यहां तक इस परिसर के नागरिकों के आवागमन में बाधक बने नाले पर पुलियां निर्माण हेतु कोई प्रयास नहीं हुए है.
उफनते नाले को पार कर किया था मतदान
इस परिसर में आलेंगा, बोलमेटा, कूसूमपल्ली, येडसगोंदी व बांडे गांव के नागरिकों का आवागमन बारिश के चलते प्रभावित हो जाता है. बतां दे कि, कुछ वर्ष पूर्व चुनावी दौर में इस परिसर के नाले लबालब भरे थे. इसके बावजूद इस परिसर के नागरिकों ने लबालब भरे व उफनते नाले को पार करते हुए मताधिकार का प्रयोग किया था.
जिससे यह बात विगत अनेक दिनों तक चर्चा का विषय भी बना रहा. जिससे अब तो जनप्रतिधि इस नाले पर पुलियां निर्माण की ओर ध्यान देंगे, ऐसी आंस परिसर के नागरिकों को थी. किंतू अबतक यहां के समस्याओं की सूध नहीं ली गई. अबतक नाले पर पुलियां निर्माण नहीं होने के कारण नागरिकों का जानलेवा सफर जारी है. इसे क्या कहां जाएं, ऐसा सवाल नागरिकों द्वारा पुछा जा रहा है.